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जलाभिषेक के लिए कांवड़ियों में लगी होड़

संवाद सहयोगी, चकरनगर: महा शिवरात्रि के पावन पर्व पर बीहड़ांचल के ऐतिहासिक शिवालयों पर क्षेत्रीय हजारो

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Feb 2017 01:00 AM (IST)Updated: Fri, 24 Feb 2017 01:00 AM (IST)
जलाभिषेक के लिए कांवड़ियों में लगी होड़
जलाभिषेक के लिए कांवड़ियों में लगी होड़

संवाद सहयोगी, चकरनगर: महा शिवरात्रि के पावन पर्व पर बीहड़ांचल के ऐतिहासिक शिवालयों पर क्षेत्रीय हजारों श्रद्धालु कांवर से लेकर आये गंगा के पवित्र जल से जलाभिषेक करेंगे। इनके अलावा भी क्षेत्र से हजारों की संख्या में भक्त बेल पत्र और जलाभिषेक करने पहुंचेंगे। कई स्थानों पर तो मेला और दंगल का भी आयोजन किया जाएगा।

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ऐतिहासिक महाकालेश्वर, भारेश्वर, सिद्धेश्वर मंदिर पर महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर क्षेत्रीय हजारों कांवड़िया गंगा के पवित्र जल से जलाभिषेक करेंगे। वहीं क्षेत्र से लेकर अन्य दूर दराज से भी हजारों श्रद्धालु बेलपत्री चढ़ाकर जलाभिषेक कर मन्नत मागेंगे। इस दौरान क्षेत्र में महाकालेश्वर, भारेश्वर मंदिर पर मेले का आयोजन भी किया जाएगा। जब कि सिद्धेश्वर बाबा पर शिवरात्रि के बाद 25 व 26 फरवरी को विशाल दंगल का आयोजन किया जाएगा। इसके उपरांत 27 व 28 फरवरी को महिलाओं का मेला लगेगा। मेले में सामान की दुकानों से लेकर मिठाईयों तक की दुकानें लगाई जाएंगी।

बकेवर में पैदल चलकर लंबी दूरी तय करने वाले कांवड़ियों का रेला भरथना-चकरनगर, बकेवर-औरैया, बकेवर-इटावा मार्ग पर दिखाई पड़ रहा है। चंहु ओर हर हर बम बम की गूंज के साथ कांवड़ गीत की गूंज से समूचा क्षेत्र गुंजायमान है। नाचते-गाते हर-हर बम-बम करते कांवड़ियों की सजी संवरी कांवड़ें देखती ही बनती हैं। मध्य प्रदेश के ¨भड जिले के लहार निवासी ओमकार ¨सह अपनी बहन अर्चना के साथ श्रृगींरामपुर गंगा घाट से शिव जी का जलाभिषेक करने के लिए गंगा जल कांवड़ में ले जाते दिखे। ओमकार तो पांचवीं बार कांवड़ भरकर जा रहे हैं मगर अर्चना पहली बार। इसलिए उसे पैर दुखने लगे तो ओमकार ने अपनी कांवर एक साथी को थमाकर बहन को सहारा दिया। अर्चना ने बताया कि वह बीए की पढ़ाई पूरी कर चुकी है। श्रृगींरामपुर गंगा नदी से जल भर कर जलाभिषेक को कांवड़ भर कर अपने गांव वापस जा रही है। ¨भड जिले की ही सावित्री देवी, राधा रानी और कुसुम भी अपने परिजनों के साथ कांवड़ लेकर जा रही हैं। पारपट्टी के शिवराम ¨सह के जत्थे में 70 कांवड़िये शामिल हैं। यह जत्था जहां ठहरता है एक-दूसरे के पैर को दबाकर थकान मिटाने के बाद फिर आगे बढ़ जाते हैं। लखना, बकेवर में सड़क के किनारे शिव भक्तों ने कांवड़ियों के स्वागत के लिए स्टॉल लगा रखे हैं।


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