कॉरीडोर के निर्माण में रोड़ा बना मुआवजा
जागरण संवाददाता, इटावा : दिल्ली से हावड़ा के मध्य डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर के तहत रेलवे ट्रैक का निर्म
जागरण संवाददाता, इटावा : दिल्ली से हावड़ा के मध्य डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर के तहत रेलवे ट्रैक का निर्माण अटका हुआ है। तहसील जसवंतनगर के नगला भिखन तथा भैसरई के करीब ढाई दर्जन किसान रेलवे द्वारा निर्धारित दर पर अपनी खेतिहर भूमि बेचना नहीं चाहते हैं और नए सर्किल रेट के हिसाब से मुआवजे की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। पूरा विवाद करीब ढाई किलोमीटर भूमि को लेकर है।
रेलवे वर्ष 2019 तक डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर मालगाड़ी चलाना चाहता है। भूमि अधिग्रहण को लेकर सबसे ज्यादा दिक्कत जसवंतनगर से इकदिल क्षेत्र के मध्य आ रही है। काफी मामले स्थानीय प्रशासन की मदद से निस्तारित भी हो गए हैं। मगर, जसवंतनगर क्षेत्र के मलाजनी मौजा में भैसरई तथा नगला भिखन-भतौरा के करीब ढाई दर्जन किसानों का मामला सुलझ नहीं पा रहा है। किसान वर्तमान सर्किल रेट तथा आबादी क्षेत्र के अनुरूप मुआवजा मांग रहे हैं, जबकि रेलवे वर्ष 2010 के सर्किल रेट के मुताबिक मुआवजा देना चाहता है। इसी को लेकर किसान आक्रोशित हैं।
समिति की परवाह नहीं
माकपा नेता कामरेड मुकुट ¨सह यादव का कहना है कि भूमि अधिग्रहण के लिए जिला स्तर पर समस्या निवारण समिति बनाई गई थी। अपर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी, फ्रेट कॉरीडोर प्रतिनिधि तथा किसान प्रतिनिधि इस समिति में सदस्य के रूप में शामिल हैं। रेलवे को इस समिति की परवाह नहीं है। मंडलायुक्त ने 2010 के सर्किल रेट के साथ 60 फीसद अतिरिक्त दर का निर्णय दिया है। उसका पालन नहीं किया जा रहा है। समस्या का निस्तारण कराने के लिए डीएम को ज्ञापन दिया गया, लेकिन अभी तक जवाब नहीं मिला। किसानों की बात नहीं सुनी गई तो आंदोलन किया जाएगा।
अधिनियम के मुताबिक मुआवजा
डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर के तहत किसानों की भूमि अधिग्रहण करने के लिए जो अधिनियम है उसी के मुताबिक मुआवजा देने का प्रावधान है। जनपद में करीब 70 किलोमीटर लंबे ट्रैक का निर्माण होना है, करीब 67 किलोमीटर में निर्माण कार्य जारी है। जो किसान आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं, उनमें कई नोटिफिकेशन के तहत निर्धारित दर पर मुआवजा ले चुके हैं। इस मसले में समिति का अब कोई रोल नहीं रहा है।
-जितेंद्र कुमार, अपर जिलाधिकारी