मानसून की मंद चाल से सुस्त पड़ा खेती का हाल
जागरण संवाददाता, बांदा : आषाढ़ की पहली जोरदार बारिश को क्षेत्रीय भाषा में दौंगरा कहा जाता है। देखा ज
जागरण संवाददाता, बांदा : आषाढ़ की पहली जोरदार बारिश को क्षेत्रीय भाषा में दौंगरा कहा जाता है। देखा जाए तो आषाढ़ का आधा समय बीतने को है लेकिन अभी तक दौंगरा धरती को नहीं ¨भगो पाया। लिहाजा पानी के बिना किसानी की रफ्तार भी सुस्त चल रही है। कृषि विभाग भी इस बात को मान रहा है कि बारिश शुरू होने में करीब एक सप्ताह का विलंब हो चुका है। यदि जल्द ही मानसून का जोरदार आगाज न हुआ तो खेती का काम और पिछड़ेगा। पानी और किसानी दोनो ही एक सिक्के के दो पहलू हैं। खासकर बुंदेलखंड में यह बात और महत्व रखती है क्योंकि यहां का अधिकांश कृषि क्षेत्रफल वर्षा आधारित है। जून माह से खरीफ की तैयारी शुरू होती है जिसे आषाढ़ माह के रूप में भी जाना जाता है। यदि आषाढ़ में समय से बारिश हो गई तो इससे दोनो सीजन खरीफ व रबी में कृषि कार्य बेहतर ढंग से संपादित हो जाते हैं। देखा जाए तो जून माह का एक सप्ताह शेष बचा है लेकिन अभी तक मौसम छिटपुट बारिश के बीच ही सिमटा रहा। जबकि जून माह में जिले की सामान्य औसत वर्षा लगभग 73 मिमी. है पर अभी तक कुल 6.9 मिमी. बारिश ही रिकार्ड की गई है। कृषि विभाग के आंकड़ों को देखें तो 6 जून को इस सीजन की बारिश की शुरुआत नरैनी से हुई थी और 5.2 मिमी. वर्षा रिकार्ड की गई। इसके बाद 18 जून को बांदा में 1.4 मिमी., 19 जून को बबेरू में 10.8 मिमी., 20 जून को बांदा 0.6 मिमी., 21 जून को बबेरू में 23.4 व नरैनी में 10.4 मिमी., 22 जून को बबेरू में 23.4 व नरैनी में 10.7, बांदा में 14 मिमी., अतर्रा में 4 मिमी. वर्षा रिकार्ड की गई है। जो कि अब तक जिले की औसत वर्षा 6.9 मिमी. तक ही पहुंची है। आंकड़ों के लिहाज से देखें तो महीने की समान्य औसत वर्षा 73 मिमी. से अब तक की बारिश बहुत ही कम है। जबकि अब एक सप्ताह ही शेष बचा है। कृषि विभाग भी बारिश में एक सप्ताह की देरी मान रहा है।
- इस साल अभी तक जिले में छिटपुट बारिश हुई है। देखा जाए तो बारिश में लगभग एक सप्ताह का विलंब है। हालांकि किसानों ने खरीफ की तैयारियां शुरू कर दी हैं। जोरदार बारिश के साथ ही कृषि कार्य तेज हो जाएगा। -उमेशचंद्र कटियार, उपकृषि निदेशक