वट वृक्ष की पूजा कर मांगी पति की दीर्घायु
जागरण संवाददाता, इटावा : ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर्व के रूप में मनाई जाती है। एक तो सती सावित्री की
जागरण संवाददाता, इटावा : ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर्व के रूप में मनाई जाती है। एक तो सती सावित्री की कथा इससे जुड़ी हुई है, दूसरा इसी तिथि को न्यायाधिकारी शनिदेव महाराज का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है। सनातन संस्कृति से जुड़े लोगों ने सुबह से पूजा अर्चना शुरू कर दी। महिलाओं ने वट वृक्ष की पूजा करके पति की दीर्घायु की कामना की।
शहर के कंपनी बाग, वन विभाग कार्यालय परिसर व अन्य वट वृक्षों की छाया तले महिलाओं ने श्रद्धाभाव से पूजा अर्चना की। बड़ी संख्या में भक्तों ने पिलुआ महावीर जाकर शनिदेव की पूजा-आराधना की। शहर में दोपहर तक चारों ओर महिलाओं को पूजा करते देखा गया।
सती सावित्री की अर्चना की
संवाद सूत्र, लखना : सावित्री पूजन का पर्व पारंपरिक रूप से मनाया गया। सुबह से दोपहर तक पूजा की थाल सजाए सुहागिनों ने वट वृक्ष को धागे बांध कर, फल, दूध इत्यादि अर्पित कर पूजा की। लखना के पुराना पुल पर सबसे ज्यादा भीड़ रही। यहां पर लगे दोनों पुराने पेड़ों की पूजा का क्रम दिन भर चला। उधर बकेवर में भी महिलाओं ने पूजा अर्चना की। सराय नौधना में पूर्व प्रधान रेनू अवस्थी, ऊषा पाठक, सुमेधा दुबे, पूजा अवस्थी आदि महिलाओं ने वटवृक्ष की पूजा करके सती सावित्री की कथा सुनाकर इस पर्व के महत्व का बखान किया।