आत्म ज्ञान मिलने पर मिलता है परमानंद
इटावा, जागरण संवाददाता: आत्मा तो मुक्त स्वरुप ही है पर अज्ञानता के कारण जीव अपने को जन्मने मरने वाला
इटावा, जागरण संवाददाता: आत्मा तो मुक्त स्वरुप ही है पर अज्ञानता के कारण जीव अपने को जन्मने मरने वाला समझता है। जीव को जब यह ज्ञान हो जाता है कि जन्म और मरण तन का होता है स्वरुप का नहीं, तब वह सुखी होता है।
नवीन मण्डी के पास स्थित रेखा पैलेस में जारी श्रीमछ्वागवत कथा आयोजन में श्रीधाम वृन्दावन से पधारे भागवताचार्य बालकृष्ण महाराज ने श्रद्धालुओं को आत्मा तथा शरीर के संबंध में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि शुकदेव के द्वारा ज्ञान, भक्ति, वैराग्य युक्त कथा सुनकर परीक्षित को यह ज्ञान हो गया, मेरी मृत्यु नहीं हो सकती। मानस में भी कहा गया है कि हरि व्यापक सर्वत्र समाना, प्रेम से प्रगट हो¨ह मैं जाना। बस हमें प्रेमाभक्ति करके परमात्मा से जुड़ना है। श्रीमछ्वागवत कथा भी हमें परमात्मा से जोड़ती है। भागवत कथा की व्यवस्था में आचार्य हरिगोविन्द, बृजकिशोर, रामयश यादव (पूर्व प्रधानाचार्य) रेखा एवं अवधेश यादव का विशेष सहयोग है।