संसाधनों के अभाव में आंगनबाड़ी केंद्रों पर लगा ब्रेक
इटावा, जागरण संवाददाता: सरकार आंगनबाड़ी केंद्रों को गतिशील कराने पर जोर दे रही है, हकीकत में केंद्रों
इटावा, जागरण संवाददाता: सरकार आंगनबाड़ी केंद्रों को गतिशील कराने पर जोर दे रही है, हकीकत में केंद्रों पर संसाधनों का अभाव है, कई केंद्रों पर तो मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। इसी के साथ अधिकारियों-कर्मियों की खासी कमी है। बदहाली का आलम यह है कि बीते सवा साल से मुख्यमंत्री के जनपद में जिला कार्यक्रम अधिकारी की तैनाती नहीं हो पाई है।
मातृ एवं शिशु के पोषण तथा स्वास्थ्य बेहतर रखने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों को और अधिक सक्रिय करने की कवायद की जा रही है। आंगनबाड़ी केंद्रों को देखा जाए तो अधिकतर केंद्रों पर संसाधनों का अभाव नजर आता है। केंद्रों पर रखी जाने वाली सामग्री के लिए संसाधन नहीं है। इससे पोषाहार प्रभावित होता है, दूसरी ओर इस विभाग में संसाधनों के साथ स्टाफ का अभाव होने से धरातल पर इन केंद्रों की सक्रियता सवालों के घेरे में है।
महिला एवं बाल विकास विभाग की दशा
जिला कार्यक्रम अधिकारी का पद सवा साल से रिक्त है, जिला विकास अधिकारी प्रभारी के रूप में कार्य देख रहे हैं। सीडीपीओ 9 के स्थान पर 6, सुपरबाइजर 54 के बजाए 17, लिपिक 12 के स्थान पर 4 तथा चतुर्थ श्रेणी कर्मी 15 की जगह महज 4 हैं। इसी तरह जनपद के कुल 1564 आंगनबाड़ी केंद्रों में 122 पर शौचालय नहीं हैं, 193 केंद्रों के शौचालय जीर्णशीर्ण हो गए हैं। 935 केंद्रों पर बच्चों के शौचालय नहीं हैं, 83 जीर्णशीर्ण हैं। 161 केंद्रों पर हैंडपंप सही नहीं हैं। यह हालत मुख्यमंत्री के जनपद में है, इसी से समूचे प्रदेश में इस विभाग की हालत का अनुमान लगाया जा सकता है।
सभी खामियां जल्द होंगी दूर
आंगनबाड़ी केंद्रों पर व्याप्त सभी खामियां जल्द दूर होंगी। उक्त कार्यों के प्रस्ताव प्रेषित किए जा चुके हैं जो जल्द ही स्वीकृत हो जायेंगे। स्टाफ का अभाव दूर करने के लिए मुख्यालय को अवगत कराया गया है, निकट भविष्य में स्टाफ की कमी दूर हो जायेगी। सभी कार्यक्रम अन्य विभागों के सहयोग से संपन्न कराए जा रहे हैं।
- अनिल कुमार ¨सह जिला विकास एवं प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी