प्रदूषित पर्यावरण व खानपान की लापरवाही है अस्थमा
इटावा, जागरण संवाददाता : अस्थमा के कारणों की चर्चा की जाये तो बढ़ती धूल व धुआं एवं प्रदूषित पर्यावर
इटावा, जागरण संवाददाता : अस्थमा के कारणों की चर्चा की जाये तो बढ़ती धूल व धुआं एवं प्रदूषित पर्यावरण, घटती हरियाली, धूम्रपान की बढ़ती प्रवृत्ति, वायु प्रदूषण ही अस्थमा के मरीजों की संख्या बढ़ा रहा है। हवा में घुलती कार्बनडाई ऑक्साइड व सल्फरडाई ऑक्साइड श्वसन संबंधी परेशानियों को बढ़ावा देती है। उक्त कथन है डॉ. आरएस ¨सह का जो विजयनगर स्थित क्लीनिक पर पत्रकारों से व्यक्त कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि अस्थमा एक श्वसन रोग है जो फेफड़े में फैलता है। इस रोग के चलते फेफड़ों के वायु छिद्रों में सूजन आ जाती है। इस हालत के कारण वायु छिद्र संकुचित हो जाते हैं। जिसके कारण फेफड़े विभिन्न संक्रमणों की चपेट में आ जाते हैं और इससे दमा का अटैक बढ़ जाता है।
उनके अनुसार धूम्रपान न करें, स्वच्छ वातावरण में रहें, हरियाली के बीच टहलें व व्यायाम एवं स्वी¨मग करें, धूल, धुआं व प्रदूषण से बच्चों को बचायें, बीमारी के लक्षण होने पर नियमित जांच करायें, पर्यावरण प्रदूषण से बचने को मास्क का प्रयोग करें। सेमल की रुई का प्रयोग करें, पालतू जानवर कुत्ता, बिल्ली आदि को अपने विस्तर से दूर रखें। कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव स्वयं न करें। इस अवसर पर आशुतोष पांडेय, यतेंद्र स्वरूप दुबे, अंकिता तिवारी भी मौजूद रहीं।