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जनपद के 150 ईंट भट्टों पर छाये संकट के बादल

इटावा, जागरण संवाददाता : ईंट भट्टा चलाने के लिए काम आने वाली मिट्टी खुदाई को खनन अधिनियम में शामिल

By Edited By: Published: Wed, 18 Nov 2015 06:06 PM (IST)Updated: Wed, 18 Nov 2015 06:06 PM (IST)
जनपद के 150 ईंट भट्टों पर छाये संकट के बादल

इटावा, जागरण संवाददाता : ईंट भट्टा चलाने के लिए काम आने वाली मिट्टी खुदाई को खनन अधिनियम में शामिल कर लेने के वाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा लागू की गयी पर्यावरण स्वच्छता प्रमाण पत्र लेने की अनिवार्यता होने से जनपद के ईंट भट्टों पर काली छाया मंडरा रही है। फिलहाल सभी ईंट भट्टे बंद पड़े हुये हैं। पिछले कई महीनों से भट्टा स्वामी जनपद में आंदोलनरत हैं और अपना व्यवसाय बंद किये हुये हैं परंतु केंद्र व प्रदेश सरकार से उन्हें कोई राहत नहीं मिली है।

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भट्टा बंद हो जाने से जहां मकान बनाने वाले लोग खासे परेशान है वही भट्टा उद्योग बंद हो जाने से इससे जुड़े तकरीबन 500 से अधिक श्रमिक परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गये है। जिले में धान मिलें बंद हो जाने के बाद भट़टा उद्योग बंद हो जाने पर जिला अब पूरी तरह से उद्योग शून्य हो गया है। उल्लेखनीय है कि जिले की पहचान रखने वाली ईंट भट्टा बंद हो जाने से मकान बनाने वालों को खासी परेशानी हो रही है। खास बात यह है कि इटावा की बनी ईंट प्रदेश के कई महानगरों में भी जाती थी। यहां तक राजस्थान के लोग भी इटावा की ईट के लिए उत्सुक रहते थे। जनपद में संचालित ईट भट्टों पर बांदा, हमीरपुर, फतेहपुर, महोबा, एटा, सहित देश के कई भागों से तकरीबन 500 कारीगर अपने 75 हजार परिजनों के साथ इस व्यवसाय से जुड़े हुए थे। उनकी रोजी रोटी छिन जाने से वह भी भुखमरी की कगार पर पहुंच गये है।जनपद के ईट भट्टों से तकरीबन 10 लाख का राजस्व भी सरकार को जाता था, कारोवार बंद हो जाने से शासन को भी राजस्व की भारी क्षति हुई है। इसके साथ भट्टा स्वामियों ने मिट्टी के लिए जिस किसान को भी एडवांस दिया है, मिट्टी नहीं खोदे जाने से भट्टा स्वामियों का भी नुकसान हो रहा है तथा जो रकम ईंट पाथने वालों को एडवांस में दी गयी है। वह रकम भी डूब जाने से भट्टा स्वामियों को दोहरा नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस उद्योग के बंद होने से मकान बनाना अब आसान काम नहीं रहा है। हालत यह है कि पुरानी व रद्दी ईंट 6 हजार रुपया प्रति हजार बेची जा रही है। जबकि पहले यह ईंट 4 हजार प्रति हजार के भाव पर आसानी से मिल जाती थी।

प्रमुख शर्तें

-1. एक चिमनी से दूसरी चिमनी तथा एक खदान से दूसरे खदान की दूरी आधा किमी दूर होनी चाहिए।

-2. स्वच्छता प्रमाण पत्र की अवधि 25 दिन से 55 दिन तक ही होगी न कि 2 वर्ष से 3 वर्ष।

-3. मिट्टी खोद कर उसे दूसरे स्थान पर ले जाना होगा।

-4. मिट्टी की खुदाई 1 मीटर तक ही होगी, इससे अधिक नहीं।

-5. जिस खेत में आप मिट्टी उठा रहे हैं उस खेत के चारों ओर मेढ़ों के सहारे ऊपर की तरफ आधा मीटर तक तलहटी में 1 मीटर मिट्टी छोड़नी होगी।

-6. जिस खेत से आप मिट्टी काटेंगे उस खेत की ऊपरी सतह की उपजाऊ मिट्टी को पहले एक स्थान पर एकत्र करना होगा फिर मिट्टी काटने के बाद उस मिट्टी को खेत में फैलाना होगा।

-7. जिस समय आप मिट्टी काटेंगे, उन दिनों में उस खेत के चारों ओर पर्दे लगाने होंगे। जिससे धूल आदि न उड़े सहित 20 शर्तें लगायी गयी हैं जो भट्टा स्वामी पूरी नहीं कर सके।

पहले ईंट भट्टा व कुम्हारों द्वारा खेत से मिट्टी खोदने को खनन अधिनियम से बाहर रखा गया था, लेकिन बाद में इसे भी खनन अधिनियम में शामिल कर लिया गया। केन्द्र के इस काले कानून के कारण ईंट भट्टा बंदी के कगार पर पहुंच गये हैं। इससे सरकार को भी राजस्व का नुकसान हो रहा है। जनता को भी मकान बनाने के लिए ईंट नहीं मिल पा रही है।-कुमुदेश चंद्र यादवअध्यक्ष, ईंट भट्टा संघ, जनपद-इटावा


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