सीएम के जिले में डग्गामारी बन गई है नासूर
इटावा, जागरण संवाददाता : मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के जिले में डग्गामारी लाइलाज बीमारी बन गई है। मुख्य
इटावा, जागरण संवाददाता : मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के जिले में डग्गामारी लाइलाज बीमारी बन गई है। मुख्य सचिव के फरमान का यहां कोई असर नहीं है, रोडवेज बस स्टैंड के समानांतर डग्गामारी का अड्डा कायम है। रोडवेज के बेड़े से ढाई गुना अधिक वाहन डग्गामारी में संलग्न होने से रोडवेज की रोजाना दो लाख रुपये आमदनी पर डाका डाला जा रहा है। एसएसपी मंजिल सैनी ने डग्गामारी के खिलाफ कड़ाई की पर कोई असर नहीं हुआ, दो बार औचक निरीक्षण करके शास्त्री चौराहा पर डग्गामारी करने वाली बसों को पकड़ा। इसके बावजूद डग्गामारी कायम है। सपा के झंडे और स्टीकर लगाकर डग्गामारी करने वाले वाहनों को देखकर अफसर भी असहाय नजर आते हैं, रोडवेज के कर्मियों के प्रतिरोध करने पर डग्गामार हमलावर होकर मारपीट करते हैं। वसूली के चलते पुलिस मामले को रफा-दफा कर देती है। रोडवेज से ज्यादा डग्गामार रोडवेज पर महज 85 बसें हैं, इनमें कई वर्कशॉप में रहती हैं। डग्गामारी करने वाली बसों की संख्या 125 है इसके साथ 60-70 लोडर जीपें और एक सैकड़ा मैजिक आगरा, मैनपुरी, औरैया, ग्वालियर तथा फर्रुखाबाद मार्ग पर दौड़ रहे हैं। रोडवेज बस स्टैंड तिराहा तथा शास्त्री चौराहा पर इनका जमावड़ा रहता है। यदाकदा डग्गामारी के खिलाफ अभियान चलाया जाता है तो अफसरों के समक्ष डग्गामारी करने वाले वाहन गायब हो जाते हैं, अफसरों के पीठ फेरते ही फिर से डग्गामारों की धमाचौकड़ी शुरू हो जाती है। फरमान पर तवज्जो नहींप्रदेश के मुख्य सचिव ने रोडवेज बस स्टैंड से एक किमी की परिधि में किसी भी दशा में निजी वाहन का स्टैंड नजर न होने का फरमान जारी कर रखा है लेकिन इस फरमान को कड़ाई से लागू कराने की ओर कोई तवज्जो नहीं दी जा रही है। इससे यही प्रतीत होता है डग्गामारी लाइलाज बीमारी हो गई है।
रोजाना दो लाख का घाटासहायक क्षेत्रीय प्रबंधक परमानंद का कहना है कि डग्गामारी जारी रहने से रोडवेज को रोजाना दो लाख रुपये का घाटा हो रहा है। ऐसा कोई मार्ग नहीं है जिस पर डग्गामारी न की जा रही हो। निकट भविष्य में फिर से संयुक्त अभियान चलाकर डग्गामारी पर अंकुश लगाया जायेगा। डग्गामार वाहन नहीं जनपद में बसें और मैजिक डग्गामार वाहन नहीं है, इन सभी पर आल इंडिया परमिट है। ऐसे निजी वाहन पार्टी के बजाए सवारियां ढोने में लगते हैं जो गलत है। इसे डग्गामारी नहीं कहा जा सकता है, फिर भी ऐसे वाहनों पर अंकुश लगाने के लिए रोजाना चे¨कग करके करीब 100-125 वाहनों के चालान किए जाते हैं। चे¨कग अभियान को और अधिक तेज किया जायेगा।- वीके ¨सह, सहायक परिवहन अधिकारी।