लखना के फुटपाथ भी नहीं कब्जे से मुक्त
इटावा, जागरण संवाददाता : कालका मैया के मंदिर के तौर पर कई राज्यों में खास पहचान रखने वाला कस्बा लखन
इटावा, जागरण संवाददाता : कालका मैया के मंदिर के तौर पर कई राज्यों में खास पहचान रखने वाला कस्बा लखना के फुटपाथ भी कब्जे से मुक्त नहीं हैं। नगर पंचायत का दर्जा प्राप्त लखना कस्बे में कालका मैया के दर्शन करने को हर रोज प्रदेश के साथ गैर प्रांत के सैकड़ों लोग आते हैं। इसके साथ ही क्षेत्र से सैकड़ों लोग आते हैं। कस्बे में सब्जी मंडी होने के कारण बकेवर सहित आसपास के ग्रामीण भी बाजार करने आते हैं, बाबजूद इसके यहां के लोगों ने फुटपाथ पर कुछ इस तरह से कब्जा कर रखा है कि पथिकों का पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है। पथिकों की सुविधा पर ध्यान देने वाला कोई नजर नहीं आ रहा है। ऐसा नहीं है कि यहां नगर पंचायत द्वारा कोई अभियान न चलाया गया हो, अभियान तो हर वर्ष चलते हैं लेकिन फुटपाथ पर कारोबार करने वालों पर इनका स्थाई असर नहीं हो रहा है। कारोबारियों की हठधर्मी ही लोगों के लिए परेशानी का कारण बना हुआ है।
लखना-बकेवर रोड़ :
कालका माता के दर्शन को आने वाले लाखों लोग इसी मार्ग से लखना कस्बे में प्रवेश करते हैं। इस रोड पर मोटर, कार बाइक के साथ तांगे पर सवार होकर भी लोग पहुंचते हैं। अनेक अस्थावान लोग पैदल चलकर मंदिर पहुंचते हैं। इस मार्ग पर भी लोगों ने कब्जा करके पैदल चलने वालों का रास्ता ही रोक दिया है।
मुख्य तिराहा से गुरू का तिराहा तक :
कस्बे का जाना पहचाना यह रोड़ भी अतिक्रमण की मार से कराह रहा है। यहां मेले से संबधित दुकानदार फुटपाथ पर ही अपना कारोबार फैलाये हुए है। सब्जी मंडी का विस्तार हो जाने के कारण स्कूल जाने वाले बच्चों को खासी मशक्कत करनी पड़ती है।
गुरू तिराहा से स्टेट बैंक तक :
इस मार्ग पर बड़ी व स्थाई दुकानें सजी रहती हैं। यह दुकान संचालक अपने सामने के फुटपाथ पर सामान सजा का आने जाने वालों का रास्ता ही छीन रहे हैं। रोड़ पर केआर गर्ल्स इंटर कालेज संचालित है, पैदल व साइकिल से आने वाली छात्राओं को फुटपाथ के अभाव में रोड़ पर ही चलना मजबूरी बन गया है।
स्टैट बैंक तिराहे से पुरावली दरवाजा तक :
इस रोड़ पर सराफा व्यापार के साथ निजी अस्पताल संचालित है। निजी स्कूलों में जाने वाले मासूम जब पीठ पर बस्ता लेकर फुटपाथ पर रास्ता न होने पर रोड से निकलते हैं तो हादसे की आशंका बनी रहती है।
माता मंदिर भी अतिक्रमण से बोझिल :
वैसे तो यहां माता मंदिर पर देवी भक्त तड़के ही पूजा अर्चना करने आते हैं तथा प्राचीन शिव मंदिर पर भी भक्तों का तांता लगा रहता है। सावन के माह में तो भक्तों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है। फुटपाथ के अभाव में लोगो को वाहनों की भीड़ के बीच से ही गुजरना पड़ता है।
जिम्मेदार बोले :
फुटपाथों पर होने वाला अतिक्रमण अस्थाई है, जब भी अभियान चलाया जाता है, कब्जा हट जाता है। उससे जुर्माना भी वसूल किया जाता है। बावजूद इसके दुकानदार कब्जा कर लेते हैं, इसका स्थाई निदान खोजा जा रहा है।
सतीश चंद्र वर्मा, अध्यक्ष नगर पंचायत लखना
आस्था पर चोट है अतिक्रमण :
- मां कालका देवी मंदिर लाखों लोगों की आस्था के केंद्र है। यहां हर रोज सैकड़ों लोग माता के दर्शन के साथ बाजार में खरीददारी करने आते हैं। बावजूद इसके यहां फुटपाथ की सुविधा नहीं मिल रही है।
मुन्ना बाबू
- निकाय एक्ट में भी फुटपाथ पर चलने का अधिकार दिया गया है। गरीबों की बात करने वाला कोई नजर नहीं आता है। हालत यह है कि आदमी अपने स्वार्थ में अंधा होकर सार्वजनिक स्थानों पर कब्जा करने से बाज नहीं आ रहा है।
मथुरा प्रसाद कुशवाहा
- खुले फुटपाथ शहर की पहचान होते हैं। पैदल चलने वालों की जान होते हैं। रोड़ पर वाहन और फुटपाथ पर पथिक जब चलते हैं तो दुर्घटना की आशंका नहीं रहती है।
राम ¨सह सोनी
फुटपाथ हमारे हैं और हमारे रहेंगे, जरूरत है अपने अधिकारों को हासिल करने की, जिस दिन लोग अपने अधिकारों के प्रति सजग हो जाएंगे, फुटपाथ पर कब्जा करने की परंपरा भी समाप्त हो जायेगी।
ठाकुर इंद्र बहादुर ¨सह