कृष्ण-सुदामा की मित्रता सद्भाव की प्रतीक
बसरेहर, संवाद सहयोगी : भगवान श्रीकृष्ण तथा सुदामा की मित्रता सद्भाव की प्रतीक है। सच्चे मित्र भले ही
बसरेहर, संवाद सहयोगी : भगवान श्रीकृष्ण तथा सुदामा की मित्रता सद्भाव की प्रतीक है। सच्चे मित्र भले ही राजा तथा रंक की हालत में हो लेकिन जब मिलते है तो दोनों में अंतर नहीं होता है। आज के हालात में मित्रता में विश्वास कम दगा ज्यादा है। इसका मुख्य कारण मानव को अच्छा सत्संग प्राप्त न होना। बसरेहर क्षेत्र के गांव सिरसा में वैदिक विधि विधान से शिव परिवार की स्थापना तथा श्रीमद्भागवत कथा की समापन बेला पर सरस कथा वाचक पं ब्रह्म कुमार मिश्र ने श्रीकृष्ण-सुदामा प्रसंग का विस्तार से श्रवण कराते हुए लोगों को सच्ची मित्रता तथा अच्छा चरित्र बनाने के लिए आध्यात्मिक सत्संग करना चाहिए। हम सभी को लालच त्यागकर एक-दूसरे के प्रति सदभावना रखते हुए सुख-दु:ख में सहभागिता करें तभी अच्छे समाज की स्थापना होगी। कथा समापन होने पर आयोजक डा. सीएस चौधरी ने व्यास पीठ की आरती उतारकर सभी अतिथियों का स्वागत सत्कार करके प्रतीक चिन्ह भेंट किए। विशाल भंडारा में क्षेत्रीय लोगो ने खासी संख्या में भाग लिया, इसमें समाज सेवी पं रामदास तिवारी, पं रमेशचंद्र दुबे प्रधान, रामकुमार त्रिपाठी, अवनींद्र यादव आदि ने सहयोग किया।