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खुशबू की मदद को प्रशासन ने की पहल

इटावा, जागरण संवाददाता : खुशबू पर एसिड अटैक हुए पूरे आठ माह हो गए। पहली अगस्त को कांशीराम कालोनी

By Edited By: Published: Wed, 01 Apr 2015 01:22 AM (IST)Updated: Wed, 01 Apr 2015 01:22 AM (IST)
खुशबू की मदद को प्रशासन ने की पहल

इटावा, जागरण संवाददाता :

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खुशबू पर एसिड अटैक हुए पूरे आठ माह हो गए। पहली अगस्त को कांशीराम कालोनी में एक तरफा प्रेम में पागल सिरफरे इमरान ने उसके चेहरे पर तेजाब फेंका था। तब से उसने ¨जदगी का एक-एक पल घुटन भरी सांसों के साथ जिया है। दर्पण देखती तो सुबक उठती। तेजाब ने उसके चेहरे से ही खूबसूरती नहीं छीनी थी, मन में भी गहरे घाव दिए थे। वह घाव आज भी हरे हैं। शासन ने जब तेजाब पीड़िताओं की आर्थिक मदद की सूची में उसको दरकिनार किया तो भेदभाव के इस नश्तर ने घाव को बुरी तरह कुरेद दिया। दैनिक जागरण ने जब इस मसले का प्रमुखता से उठाया तो प्रशासन उसके प्रति संवदेनशील हुआ। अब उसको आर्थिक मदद दिलाने की पहल शुरू कर दी गई है।

डीएम डा. नितिन बंसल ने बताया कि आर्थिक मदद पाने वाली एसिड अटैक पीड़िताओं में जनपद की दो महिलाएं चयनित की गई हैं। सूची में खुशबू का नाम कैसे छूट गया, यह जांच का विषय है। बहरहाल खुशबू को आर्थिक मदद दिलाने के लिए शासन को संस्तुति भेजी जा रही है। उल्लेखनीय है कि शासन ने तेजाब पीड़िता को तीन लाख की सहायता राशि प्रदान किए जाने का प्रावधान किया है। इसी सहायता राशि के लिए खुशबू को आठ माह से दरकार है। पति द्वारा ठुकराए जाने के बाद गरीब माता-पिता के साथ कांशीराम कालोनी में रहने के लिए खुशबू आ गई थी। पिता रिक्शा चलाकर परिवार का भरण-पोषण करता है। वह इलाज कराते-कराते कर्ज में डूब गया है।

खुशबू का करीब एक माह तक सैफई पीजीआई में इलाज चला था। इसके बाद एक माह तक मेडिकल कालेज लखनऊ में इलाज चला। पूरी तरह सामान्य होने से पहले ही मेडिकल कालेज लखनऊ द्वारा खुशबू को घर भेज दिए जाने पर अक्टूबर में डीवाईएफआई (जनवादी नौजवान सभा) के जिलाध्यक्ष छविमोहन शुक्ला, जिला मंत्री नरेंद्र शाक्य और एसएफआई (स्टूडेंट फेडरेशन आफ इंडिया) के जिलाध्यक्ष ऋषभ चौहान संगठन के साथियों के साथ शहर में इलाज वास्ते चंदा जुटाने के लिए निकले थे।

युवा अधिवक्ता प्रशांत दुबे का कहना है कि एसिड अटैक पीड़िता खुशबू ने मौत से संघर्ष किया है। उसका यह संघर्ष आज भी जारी है। उसने सिरफिरे युवक का प्रतिरोध किया था और उसके खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कराया गया था। बेहतर ¨जदगी की आशा में आज भी उसने अपना हौसला नहीं खोया है। सरकार को उसके प्रति मानवीय द्रष्टिकोण अपनाते हुए उसकी अपेक्षाएं पूरी करनी चाहिए।


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