धान में चार दिन की बारिश ने डाली जान
इटावा, जागरण संवाददाता : जनपद को धान का कटोरा कहा जाता है, इस साल 54 हजार हेक्टयर धान की पैदावार होने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। कमजोर मानसून ने इस लक्ष्य को प्रभावित करते हुए सूखा के हालात पैदा कर दिए थे लेकिन बीते चार दिनों से हल्की बरसात होने से धान की फसल ही नहीं अपितु बीहड़ में बाजरा तथा दलहन व मैदानी क्षेत्र में सब्जियों की फसलों में जान आ गई। किसानों के लिए हल्की बरसात वरदान स्वरूप हो रही है। फसल पकने तक सुरक्षात्मक उपाय जारी रखने की आवश्यकता है।
जनपद में खास तौर पर ब्लाक सैफई, जसवंतनगर, भरथना, बसरेहर, महेवा तथा ताखा क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर धान होता है। सही मायनों में इस क्षेत्र के 80 फीसदी किसानों के लिए धान की फसल ही आर्थिक आधार है। इस साल मानसून की बेरुखी ने धान की फसल खासी प्रभावित की, करीब 40 फीसदी फसल नष्ट होने के कगार पर पहुंच गई थी। बीते चार दिनों से निरंतर हल्की बरसात होने से तथा तापमान 28 डिग्री के आसपास रहने से धान की फसल में नई जान पड़ गई है। मौसम में लगातार नमी बरकरार रहने पर 54 के बजाए 48 हजार हेक्टयर धान की फसल होने का अनुमान लगाया गया है।
फफूंदी से बचाव पर जोर
पर्याप्त बरसात न होने से तथा तापमान कम-ज्यादा होने को लेकर कृषि वैज्ञानिक ने धान की फसल को फंफूदी से बचाव करने पर जोर दिया है। उनका कहना है कि ऐसे मौसम में धान का दाना भूरा होकर काला पड़ने लगे तो समझे कि फसल फंफूदी रोग की शिकार हो रही है। बचाव के लिए दवा का छिड़काव करें, जानकारी के अभाव में विज्ञान केंद्र पर आकर परामर्श करें।
हाइब्रिड धान को नमी जरूरी
हाइब्रिड धान की फसल को नमी की आवश्यकता होती है। वर्तमान मौसम में रात में नमी रहने से पालीनेशन तो खूब हो रहा है, लेकिन सूर्य की तेज रोशनी में पालीनेशन सफल नहीं हो रहा है। इसके जिन किसानों ने हाइब्रिड धान की फसल की है, वे सभी सूर्य उदय से पूर्व फसल के पूर्वी ओर से पश्चिम की ओर फसल का आपसी मिलान बड़ी लाठी से करें। इससे फसल कमजोर नहीं होगी।
बाजरा-दलहन हुए बेहतर
हल्की बरसात होने से बीहड़ क्षेत्र में बाजरा, अरहर, मूंग, तिल आदि दलहन व तिलहन की फसल बेहतर हो गई है। इसी के साथ मैदानी क्षेत्र में गोभी, बंद गोभी, प्याज, टमाटर व अन्य सब्जियों की फसलों को खासी राहत मिल गई है। अगैती आलू की फसल सहजता से तैयार की जा सकती है।
बरसात से लाभ, बचाव जरूरी
हल्की बरसात होने से मौसम में नमी आ गई है साथ ही सभी फसलों को राहत मिल गई है। ऐसे में किसानों को फसलों के बचाव के लिए सजग रहकर पर्याप्त उपाय शुरू कर देने चाहिए।-अतहर हुसैन वारसी
कृषि वैज्ञानिक