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भगवान की परीक्षा लेना कष्टदायक

By Edited By: Published: Tue, 02 Sep 2014 05:33 PM (IST)Updated: Tue, 02 Sep 2014 05:33 PM (IST)
भगवान की परीक्षा लेना कष्टदायक

बसरेहर, संवादसूत्र : भक्त को भगवान की परीक्षा नहीं लेना चाहिए, ऐसा करना कष्टदायक साबित होता है। माता सती ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की परीक्षा ली तो उनको भगवान भोलेनाथ से अलग होना पड़ा।

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बसरेहर कस्बा में स्थित माता शीतला देवी मंदिर के विशाल परिसर में कर्मयोग सेवा समिति के तत्वावधान में जारी श्रीगणेश महोत्सव के भव्य आयोजन में उपस्थित श्रद्धालुओं को सरस वाणी में मानस केसरी रमेश रामायणी ने भक्त और भगवान की महिमा के अनुपम वृतांत स्मरण कराए। उन्होंने सती चरित्र और शिव विवाह से लेकर श्रीराम विवाह के विभिन्न प्रंसग सुनाकर प्रभु की प्रतीक्षा करने के लिए प्रेरित करते हुए श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसी के साथ उन्होंने समाज में शान को लेकर किए जा रहे खर्चीले शादी समारोह बंद करके सादगी अपनाने के लिए प्रेरित किया। समाज में व्याप्त भेदभाव तथा जातिवाद से ऊपर उठने की सलाह देते हुए शबरी के झूठे बेर तथा निषादराज से मित्रता के प्रसंग सुनाए। उनके साथ आए आचार्य रमेशचंद्र शर्मा ने संगीतमय श्रीराम कथा सुनाई। महोत्सव में पूर्व प्रधान रमेशचंद्र दुबे, प्रेमशंकर पोरवाल, अंकित दुबे, रामकुमार त्रिपाठी, किशन गोपाल पोरवाल, नवीन यादव, नरेंद्र पाल आदि सहयोग कर रहे हैं।


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