आधा-अधूरा ऑनलाइन एआरटीओ कार्यालय
इटावा, जागरण संवाददाता : एआरटीओ कार्यालय आधा-अधूरा ऑनलाइन हो पाया है। कुछ सुविधाएं ऑनलाइन हैं लेकिन जनता को अपनी जरूरत की कोई जानकारी ही नहीं मिल पा रही है। इसकी वजह से दलाल संस्कृति से मुक्ति नहीं मिली है, इनकी आड़ में अराजक तत्व भी शामिल है। परिवहन विभाग की अधिकतर व्यवस्थाएं दलालों पर ही निर्भर है।
एआरटीओ कार्यालय ऑनलाइन किए जाने की बात तो अर्से से की जा रही है, धरातल पर हकीकत इसके विपरीत है। स्मार्ट ड्राइविंग लाइसेंस, वाहनों का रजिस्ट्रेशन समेत जितने प्रशासकीय कार्य हैं, वे सभी कंप्यूटरीकृत हैं। ऑन लाइन व्यवस्था अभी कहीं नजर नहीं आ रही है, मेल के जरिए मुख्यालय व अन्य स्थानों पर संपर्क होता है। प्रवर्तन यानि वाहनों की चेकिंग में चालान और जुर्माना वसूली का कार्य हस्त लिखित ही चल रहा है। एआरटीओ कार्यालय जाने पर पता चलता है कि यहां कार्यालय जैसे हालात कम मछली बाजार ज्यादा नजर आता है। दलालों का नेटवर्क इस कदर हावी है कि उनके बगैर कोई कार्य होता ही नहीं है। दलालों के माध्यम से हर कार्य तीन गुना अधिक खर्च होने पर होता है। दलालों में अराजकतत्व भी शामिल है जो वाहन स्वामियों के साथ धोखाधड़ी करने से बाज नहीं आते हैं। इसके तहत आए दिन मामले सामने आते हैं।
टैक्स और वीआईपी नंबर ऑनलाइन
वाहनों का निर्धारित समय पर टैक्स अदा करने वालों को विभाग ने सहूलियत प्रदान कर दी है। इसके तहत वे ऑनलाइन टैक्स जमा करा सकते हैं। इसी के साथ वीआईपी नंबर बुक कराने वालों को भी ऑनलाइन सुविधा मिल गई है। बुकिंग के 90 दिन के अंदर वाहन का रजिस्ट्रेशन उक्त नंबर पर कराना अनिवार्य कर दिया गया है। इस अवधि में वाहन प्रस्तुत न करने पर बुकिंग रद्द कर दी जायेगी तथा बुकिंग में कैटागरी के अनुरूप जमा की गई धनराशि जब्त हो जायेगी।
कार्यालय करने होंगे हाईटेक
ऑनलाइन व्यवस्था शुरू करने से पूर्व कार्यालय हाईटेक करने होंगे। बैकिंग पद्धति के अनुरूप व्यवस्था करनी होगी। इसके अलावा स्टाफ का अभाव दूर करना होगा तत्पश्चात ही ऑनलाइन व्यवस्था सही तरीके सें चल पायेगी।-वंदना सिंह एआरटीओ