एक शिक्षक के सहारे चल रहे राजकीय हाईस्कूल
गौरव डुडेजा, इटावा :
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान में ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले विद्यार्थियों को कुछ उम्मीद जगी थी कि उन्हें वहीं पर हाईस्कूल तक की शिक्षा मुहैया होगी परंतु पांच साल बीतने के बावजूद भी शिक्षकों की तैनाती न होने से यह सपना हकीकत में नहीं बदल सका।
जनपद के 11 राजकीय हाईस्कूल केवल एक शिक्षक के सहारे चल रहे हैं। कहीं पर केवल एक प्रधानाध्यापक हैं तो कहीं पर एक सहायक अध्यापक है। हालत यह है कि पढ़ाई के हालात बदतर हैं। स्कूलों में तैनात एक अध्यापक भी यदाकदा स्कूलों में जाते हैं। 11 राजकीय हाईस्कूलों में इस समय 7 में प्रधानाध्यापक व छह में सहायक अध्यापक हैं। इन स्कूलों में 20 से लेकर 50 बच्चे तक पढ़ने आते हैं। यहां पर शिक्षा कक्षा 9 व 10 की होती है।
राजकीय हाईस्कूल समसपुरा केवल एक सहायक अध्यापक के सहारे, राजकीय हाईस्कूल कंधेसीघार एक प्रधानाध्यापक के सहारे, राजकीय हाईस्कूल हरचंदपुर सैफई एक प्रधानाध्यापक के सहारे, राजकीय हाईस्कूल बीवामऊ एक प्रधानाध्यापक के सहारे, राजकीय हाईस्कूल इमलिया एक सहायक अध्यापक के सहारे, राजकीय हाईस्कूल बाउथ एक प्रधानाध्यापक के सहारे, राजकीय हाईस्कूल राजपुर एक प्रधानाध्यापक के सहारे, लुधियानी में एक प्रधानाध्यापक, तीन सहायक अध्यापक, राजकीय हाईस्कूल जौनानी में एक प्रधानाध्यापक तैनात है जबकि राजकीय हाईस्कूल कस्तूरबा गांधी विद्यालय ऊसराहार में कोई अध्यापक नहीं है। न ही नगरिया कूकपुर में कोई शिक्षक या प्रधानाध्यापक बच्चों को पढ़ाने के लिए नहीं हैं।
क्या है मानक
मानक के अनुसार राजकीय हाईस्कूल में एक विद्यालय में एक प्रधानाध्यापक, सात सहायक अध्यापक एक लिपिक, दो चपरासी होने चाहिए। परंतु एक अध्यापक के सहारे विद्यालय चल रहे हैं। लिपिक व चपरासी तो किसी विद्यालय में हैं ही नहीं।
स्कूल की दशा खराब
राजकीय हाईस्कूलों में स्टाफ न होने से विद्यालयों की साफ सफाई भी नहीं हो पा रही है। चकरनगर क्षेत्र में इमलिया, कंधेसी घार सहित कई विद्यालयों में बड़ी-बड़ी घास खड़ी है। विद्यालयों के अंदर सफाई तक नहीं होती है जिससे बच्चों को विद्यालय में स्वच्छ वातावरण नहीं मिल पाता है।
नया स्टाफ मिला
इन विद्यालयों की दुर्दशा को देखते हुए संयुक्त निदेशक कानपुर मंडल ने आठ शिक्षकों को जुलाई माह में इटावा स्थानांतरित किया है परंतु इनमें से केवल एक शिक्षक ने अभी तक अपनी आमद करायी है। बाकी सात शिक्षक अभी तक आये नहीं हैं। विद्यालयों में बच्चे उनका इंतजार कर रहे हैं।
राजकीय हाईस्कूलों में शिक्षकों की कमी है। कुछ शिक्षक और तैनात किये गये हैं जिससे काफी हद तक कमी दूर होगी। - ओम प्रकाश सिंह जिला विद्यालय निरीक्षक।