जेबों में हरियाली धरा खाली की खाली
ओम प्रकाश बाथम, इटावा
वन विभाग की उदासीनता से अब ग्रीन इटावा-क्लीन इटावा का नारा दिवास्वप्न बन गया है। लक्ष्य को पूरा करने के लिए वन विभाग द्वारा पौध रोपण की रस्म निभाई जाती है। नतीजा पौधे वृक्ष बनने से पहले ही सूख जाते हैं। बीते तीन वर्षो में नगर को हरा भरा बनाने के लिए तकरीबन 5,39500 पौधे रोपने का दावा किया गया, इनमें तकरीबन 15 हजार पौधे पनपने का भी दावा किया गया। वास्तविकता धरातल पर देखा जाये तो अधिकांश पौधे कागजों में ही रोप दिए गये। इसके साथ ही वन विभाग की लापरवाही ने सुखा दिए अथवा पशुओं की खुराक बन गये।
दृश्य एक-लायन सफारी फिशरवन मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट कहे जाने वाले लायन सफारी के फिशरवन में सूखे खड़े पौधे वन विभाग की उदासीनता का उदाहरण देने के लिए पर्याप्त माना जा सकता है। यहां प्रदेश के आला अफसरों की देखरेख मे सघन पौधरोपण कराया गया था। जहां मुख्यमंत्री व सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह ने भी गत वर्ष अंतिम पौधा रोप कर अभियान का समापन किया था।
दृश्य दो - वन विभाग कार्यालय से लेकर एसएसपी चौराहा तक सड़क के दोनों ओर पौधरोपण तीन साल पूर्व कराया गया था लेकिन आज अधिकांश पौधे दम तोड़ चुके है। खाली ट्री गार्ड अपनी दुर्दशा की कहानी कह रहे हैं।
दृश्य तीन - ग्रामीण क्षेत्रों में भी वन विभाग लाखों पौधे रोपने का दावा करता है। लेकिन इनके दावे की पोल खोलने के लिए बकेवर में भरथना रोड़ पर रोपे गये पौधे काफी है। यहां रखरखाव के अभाव में न पौधे रहे और न ट्री गार्ड।
गौरतलब बात है कि वन विभाग के साथ ही किन्हीं खास अवसरों पर स्वयं सेवी संस्थाएं भी पौधरोपण का ढिंढोरा पीटकर हरियाली लाने का सपना दिखाती है लेकिन उनका संरक्षण कोई नही करता नतीजतन पौधे ट्रीगार्ड से बाहर ही नही निकल पाते है।
ग्रीनबेल्ट का सपना अधूरा
पौधरोपण के बाद उनके संरक्षण में बरती जाने वाली उपेक्षा के चलते ग्रीन वेल्ट का सपना साकार नही हो सका। विकास की अंधी आंधी ने हरे पेड़ों की भी आहुति ले ली। एसएसपी चौराहा से डीएम चौराहा के रास्ते कुनैरा तक हरितबेल्ट के तहत पौध रोपण कराया गया था। यह पौधे भी पेड़ बनने लगे थे, हरियाली के साथ लोगों को घनी छाया भी मिलने लगी थी, लेकिन सरकार द्वारा उक्त मार्ग को फोर लेन में बदलने का फरमान क्या आया, यह अर्द्ध विकसित पेड़ कत्ल कर दिए गये।
शहर मे पार्को का अभाव
शहर में पार्कों का अभाव वर्षों से बना हुआ है। वर्तमान में हालत यह है कि केवल एक पार्क के सहारे शहर के लोग हैं। बाकी सारे पार्क उजड़े पड़े हुये हैं। नगर पालिका ने कई बार इन्हें सुधारने का प्रयास किया परंतु यह पार्क नहीं सुधर सके।
मोहल्लों में हरियाली का अभाव
बढ़ती आबादी एवं घटते संसाधन के चलते मोहल्लों से भी हरियाली गायब हो गयी है। शहर में यह हालत है कि किसी भी मोहल्ले में हरियाली देखने को नही मिल रही है। दिन में अगर गर्मी से बचने की कोशिश की जाये तो सिर छिपाने के लिए एक भी वृक्ष नही मिल सकता है।
राष्ट्रीय राजमार्गों से हरियाली गायब
बीते दो दशक पूर्व राष्ट्रीय राजमार्गों के दोनो ओर हरे पेड़ों की क्रमबद्ध लाइनें लगी होती थी। इन मार्गों पर धूप नीचे तक नही आती थी। लोग गर्मी व तेज धूप में भी सफर करते रहते थे। लेकिन अब तो हालत यह है कि हाइवे पर पेड़-पौधों के दर्शन ही दुर्लभ हो गये हैं।
लक्ष्य पूरा करने में नहीं दिखाई दिलचस्पी
शासन द्वारा वन विभाग के साथ विभिन्न संस्थाओं को पौधरोपण का भारी-भरकम लक्ष्य दिया जाता है लेकिन सरकारी विभागों द्वारा लक्ष्य तो दूर पौधरोपण की खाना पूर्ति भी नही की जाती है।
विभिन्न विभागों का लक्ष्य
वर्ष 2011-12
वन विभाग..... 80600 पौधे
ग्राम्य विकास विभाग...75400
ऊर्जा विभाग........1300
औद्योगिक विभाग....9100
सिंचाई विभाग.......9100
लोक निर्माण विभाग...7150
सहकारिता विभाग.....1300
भूमि एवं जल संसाधन विभाग..3900
योग.......
187850 पौधे
लक्ष्य 2012-13
वन विभाग....232050 पौधे
ग्राम्य विकास विभाग...83200
ऊर्जा विभाग.........1300
औद्योगिक विभाग......9750
सिंचाई विभाग........9750
लोक निर्माण विभाग.....7800
सहकारिता विभाग......1300
भूमि एवं जल संसाधन विभाग..3900
उच्च शिक्षा...........1300
माध्यमिक शिक्षा...... 650
बेसिक शिक्षा....... 650
योग - 351650 पौधे
शासन द्वारा जो लक्ष्य दिया जाता है उसी के आधार पर पौधरोपण कराया जाता है। इसमें 20 फीसद पौधे नष्ट हो जाते है।-मानिक चंद यादव,डीएफओ