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चंबल में बढ़ रहा मगरमच्छ-घड़ियालों का कुनबा

By Edited By: Published: Tue, 22 Jul 2014 01:05 AM (IST)Updated: Tue, 22 Jul 2014 01:05 AM (IST)
चंबल में बढ़ रहा मगरमच्छ-घड़ियालों का कुनबा

इटावा, जागरण संवाददाता : देश में विलुप्त हो रही प्रजाति मगर एवं घड़ियाल को लेकर अच्छी खबर है। चंबल नदी में इनका कुनबा बढ़ रहा है। इस वर्ष सैकड़ों की संख्या में घड़ियाल व मगरमच्छ के नये बच्चों ने इटावा जनपद में बहने वाली चंबल नदी में बने घोसलों में जन्म लिया है। चंबल सेंचुरी के अधिकारी भी संरक्षण को लेकर इस प्रजाति के लिये किये जा रहे कार्य को लेकर प्रसन्न हैं। मालूम हो कि चंबल नदी को केंद्र सरकार ने 1978 में राष्ट्रीय सेंचुरी घोषित किया था, जिसके पीछे उद्देश्य था कि विलुप्त हो रही प्रजाति मगर एवं घड़ियाल का इस नदी में संरक्षण किया जाये। यह नदी तीन राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश व राजस्थान को जोड़ती है।

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बड़ी संख्या में हुआ प्रजनन

इस वर्ष चंबल में घड़ियालों के 17 घोंसलों में बड़ी संख्या में प्रजनन हुआ है। ये घोंसले कसौआ में दो, खेड़ा अजब सिंह में 13, सहसों में 1, तुमराकोला में 1 था। यहां पर 602 बच्चे घड़ियालों के मिले हैं। इसी प्रकार मगरमच्छ के दो घोसले कसौआ व गाती में मिले जिनमें 70 बच्चे निकले हैं। कछुओं के 92 घोंसले पाये गये हैं जिनमें 1549 बच्चे निकले हैं। इसके अलावा डेनियल स्टीमर चिड़िया के भी 26 घोसले पाये गये हैं जिनमें 58 बच्चे निकले हैं।

ऊंचे ढेर पर बनाते घोसला

मीठे पानी के मगर फरवरी से अप्रैल तक तथा खारे पानी के मगर मई से जून तक प्रजनन कर अंडे देते हैं। अंडा देने के लिये खारे पानी के मगर ऊंचा ढेर बनाते हैं वहीं मीठे पानी के मगर बालू में गड्ढा खोदकर अंडा देते हैं। इनकी संख्या 8 से 45 तक हो सकती है जिनमें से लगभग 55 से 75 दिनों में बच्चे निकल आते हैं। नर मगर 5 से 6 वर्ष की उम्र में प्रजनन करने लायक हो जाता है वहीं मादाएं 5 वर्ष में वयस्कता प्राप्त कर लेती हैं। खारे पानी के मगर 10 से 75 तक अंडे देते हैं इनमें से बच्चे लगभग 75 से 80 दिनों में निकल आते हैं। नर मगर 10 वर्ष में वयस्क हो जाता है वहीं मादाएं 8 वर्ष में वयस्कता प्राप्त कर लेती हैं। घड़ियाल मार्च अप्रैल में अपने अंडे बालू में गड्ढा बनाकर रखते हैं। इनकी संख्या 10 से 97 तक हो सकती है जिनमें से लगभग 75 से 80 दिनों में बच्चे निकल आते हैं। नर घड़ियाल 15 वर्ष की उम्र में प्रजनन करने लायक हो जाता है वहीं मादाएं 10 से 12 वर्ष में वयस्कता प्राप्त कर लेती हैं।

10 फीसद बच्चे ही जीवित रहते हैं

नदी में पैदा होने वाले घड़ियाल व मगरमच्छ के 10 फीसद बच्चे ही जीवित रहते हैं। शेष बच्चे या तो पानी में बह जाते हैं या फिर जंगली जानवर इन्हें खा जाते हैं। इनकी लंबाई 1 से डेढ़ फीट तक होती है। वारिश का मौसम शुरू हो जाने के बाद नदियों में जलस्तर बढ़ जाता है जो उनके लिये काफी नुकसानदायक होता है।

सर्दियों में होती है गणना

सर्दियों में वन विभाग चंबल सेंचुरी के कर्मचारियों द्वारा गणना की जाती है। चंबल नदी में अभी 500 घड़ियाल, 25 मगरमच्छ व 50 हजार कछुआ हैं। सेंचुरी के रेंजर सुरेश चंद्र राजपूत का कहना है कि इस प्रजाति के संरक्षण के लिये 9 फॉरेस्ट गार्ड सेंचुरी में लगाये गये हैं। घड़ियाल व मगर को बचाने के लिये विभाग उनके अंडों को सुरक्षित करता है। अब चंबल में हर ग्रुप के मगर व घड़ियाल मिल रहे हैं। यह सबसे बड़ी बात है।

संख्या बढ़ना एक अच्छा संकेत

चंबल नदी में घड़ियालों की संख्या प्राकृतिक रूप से बढ़ना एक अच्छा संकेत है। पर्यावरणविद राजीव चौहान का कहना है कि नदियों के लिये घड़ियाल बेहद जरूरी हैं और वे नदियों के प्राकृतिक संतुलन को बनाये रखते हैं। यह प्रजाति पूरे देश में तेजी से विलुप्त हुयी थी अब यह अच्छे संकेत मिल रहे हैं।


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