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फफूंद रेलवे स्टेशन को सुविधाओं का इंतजार

By Edited By: Published: Wed, 04 Dec 2013 01:13 AM (IST)Updated: Wed, 04 Dec 2013 01:15 AM (IST)
फफूंद रेलवे स्टेशन को सुविधाओं का इंतजार

फोटो - 13, 14, 15 जेपीजी

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दिबियापुर (औरैया) : फफूंद रेलवे स्टेशन उत्तर मध्य रेलवे का सबसे कमाऊ रेलवे स्टेशन है। बावजूद रेलवे स्टेशन पर सुविधाएं सी ग्रेड से बदतर हैं। स्टेशन को ए ग्रेड का दर्जा मिले इसके लिए कई आंदोलन हुए। बात रेलवे के उच्चाधिकारियों तक पहुंची, लेकिन सारी कवायद फाइलों में ही सिमट कर रह गई।

नौ करोड़ की सालाना आय देने वाला फफूंद रेलवे स्टेशन अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को मजबूर है।

न पीने के पानी की व्यवस्था न बैठने का ठिकाना : फफूंद रेलवे स्टेशन पर हर दिन सैकड़ों यात्री सफर करते हैं अगर किसी को प्याज लग आती है तो उसे बाहर का रास्ता देखना पड़ता है। स्टेशन पर चार प्लेटफार्म हैं तीन और चार प्लेटफार्म पर पानी की कोई व्यवस्था नहीं है जबकि एक व दो नंबर प्लेटफार्म पर पानी की व्यवस्था है, लेकिन कोई गारंटी नहीं कि पानी जरूर मिल जाएगा। यात्रियों के बैठने की व्यवस्था पर नजर दौड़ाई जाए तो मालूम चलता है कि लोहे की सीटें टूटीफूटी है। वहीं टूटी टिनशेड के नीचे यात्रियों को ट्रेन का इंतजार करना पड़ता है।

टिकट लेना है तो पहले युद्ध जीतो : फफूंद रेलवे स्टेशन पर टिकट लेना किसी युद्ध में जीत के बराबर है। लंबी लाइन और उस पर एक टिकट काउण्टर है, ऐसे में लोगों को टिकट लेना खासा मुश्किल भरा होता है। जिनको टिकट नहीं मिल पाती और ट्रेन छूटने की जल्दी होती है वे बिना टिकट के ही ट्रेन में सफर कर लेते हैं। रिजर्वेशन काउण्टर का भी बुरा है काउण्टर खुलने का समय सुबह आठ से सायं आठ बजे तक का है, लेकिन कर्मचारियों की कमी के चलते यह काउण्टर एक बजे बंद कर दिया जाता है। रिजर्वेशन काउण्टर पर प्रति दिन एक लाख रुपए की टिकट बिक्री होती है उसके बावजूद रविवार को काउण्टर बंद रहता है ऐसे में लोगों को मजबूरन रिजर्वेशन के लिए कानपुर या इटावा भागना पड़ता है।

बिना प्रभारी के चल रही जीआरपी चौकी : यात्रियों की सुरक्षा स्टेशन पर उनके रहमोकरम पर है आए दिन चेन स्नेचिंग की घटनाएं होती रहती है। 11 पुलिस कर्मियों की तैनाती जीआरपी चौकी में होनी चाहिए, लेकिन आठ पुलिस कर्मी ही तैनात है। यही नहीं बिना प्रभारी के चौकी चल रही है। फफूंद जीआरपी चौकी को थाना बनाने की मांग की जा चुकी है औरैया के पुलिस अधीक्षक रहे बृजेन्द्र शर्मा ने इसके लिए पहल भी की थी, लेकिन सबकुछ टॉय -टॉय फिस हो गया।

नहीं है हवालात : फफूंद स्टेशन पर आरपीएफ का थाना है, लेकिन उसके पास हवालात नहीं है ऐसे में पकड़े गए आरोपियों को मजबूरन प्रथम श्रेणी के प्रतीक्षालय में रखना पड़ता है। कार्यालय छोटा होने के कारण पुलिस कर्मियों को खुले प्लेटफार्म नंबर एक पर काम करना होता है।

प्रसाधन की व्यवस्था जस की तस : फफूंद रेलवे स्टेशन पर प्रसाधन की कोई व्यवस्था नहीं है। विकलांगों के लिए शौचालय तो बना, लेकिन हर वक्त उसमें ताला लगा रहता है। यात्रियों की सहायता के लिए एक सहायता बूथ बना है जिस पर यात्री लेटते हैं, पुलिस कर्मी दिखाई नहीं पड़ते।

फुट ओवरब्रिज जर्जर : एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म तक पहुंचने के लिए बना फुट ओवरब्रिज जर्जर हालत में है। हालांकि रेलवे विभाग ने दूसरे फुट ओवरब्रिज निर्माण को मंजूरी दी है और उसका कार्य भी चल रहा है। छह माह में निर्माण कार्य पूरा होना था। काम की जो गति है उससे अब यह एक साल ही पूरा हो पाएगा।

क्या कहते हैं स्टेशन अधीक्षक : फफूंद रेलवे स्टेशन अधीक्षक आर सी त्रिपाठी का कहना है कि रिजर्वेशन काउण्टर पर दो लिपिकों की तैनाती है। एक लिपिक कभी -कभी दूसरी जगह ड्यूटी करने के लिए चला जाता है। इसलिए काउण्टर नहीं खुल पाता, सुविधाओं के लिए अधिकारियों से लिखा पढ़ी की गई है।

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