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निकाय चुनाव: आरक्षण की स्थिति साफ नहीं, दावेदार हलकान

जागरण संवाददाता, एटा : हाईकोर्ट द्वारा नवंबर के अंत तक निकाय चुनाव कराने के चुनाव आयोग

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Aug 2017 10:38 PM (IST)Updated: Thu, 17 Aug 2017 10:38 PM (IST)
निकाय चुनाव: आरक्षण की स्थिति साफ नहीं, दावेदार हलकान
निकाय चुनाव: आरक्षण की स्थिति साफ नहीं, दावेदार हलकान

जागरण संवाददाता, एटा : हाईकोर्ट द्वारा नवंबर के अंत तक निकाय चुनाव कराने के चुनाव आयोग को दिए गए निर्देश के बाद निकायों में हलचल तेज हो गई हैं। दावेदार चुनाव की तैयारियों में तो जुटे हैं, लेकिन आरक्षण की स्थिति साफ न होने के कारण वे अंदर ही अंदर हलकान हैं। इसलिए खुद की दावेदारी के साथ दूसरे को चुनाव लड़ाने का विकल्प भी साथ लेकर चल रहे हैं। फिलहाल निकायों की जो स्थिति है, उसके मुताबिक परिसीमन क्षेत्र में इजाफा होने के बावजूद किसी भी निकाय में वार्डो की संख्या नहीं बढ़ी है। नगर पालिकाओं में 25-25 वार्ड रहेंगे।

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चुनाव आयोग ने हालांकि निकाय चुनाव की तैयारियां शुरू करने के निर्देश पहले से ही जिला प्रशासन को दे रखे हैं। मतदाता सूचियों को अपडेट करने का काम काफी समय से यहां चल रहा था। इसके बाद निकायों में मतदाताओं की स्थिति भी सामने आ गई है। कुछ निकाय ऐसे हैं, जिनमें मतदाताओं की संख्या घट गई है। संख्या घटने का कारण यह बताया जा रहा है कि पूर्व में फर्जी वोट बहुतायत में बन गए थे। एक ही शख्स के एक से ज्यादा वार्डो में वोट, जांच के दौरान पाए गए। इसके बाद जब चे¨कग कराई गई तो हर निकाय क्षेत्र में फर्जी मतदाता पकड़ में आ गए। लिहाजा इन वोटों को रद्द कर दिया गया और इसके बाद एक अपडेट सूची हर वार्ड में तैयार कराई गई। जिन निकायों में मतदाताओं की तादाद घटी है, उन्हें देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि फर्जीवाड़ा कितने बड़े पैमाने पर चल रहा था। पिछली बार जब वर्ष 2012 में निकाय चुनाव हुआ, तब बड़े पैमाने पर फर्जी वो¨टग हुई। मतदाताओं के घटे आंकड़े देखकर इसकी पुष्टि आसानी से हो जाती है। इस बीच आरक्षण की स्थिति साफ न होने के कारण दावेदारों को एक से ज्यादा विकल्प खोजने पड़ रहे हैं। सभासद पद के दावेदारों की फेहरिस्त सबसे लंबी है। अगर उनका वार्ड आरक्षित घोषित होता है और वे आरक्षण कोटे में नहीं आते तो वे ऐसे शख्स की तलाश में भी हैं जो उनका अपना हो और जिसे चुनाव लड़ाया जा सके। वार्ड अगर महिला आरक्षित घोषित होता है तो दावेदार अपनी पत्नी को चुनाव लड़ाने की तैयारी भी कर रहे हैं।

इन निकायों में घटी मतदाताओं की संख्या: ऐसा नहीं कि नगर पंचायतों में ही मतदाताओं की संख्या घटी हो, बल्कि जलेसर नगर पालिका परिषद भी ऐसी है, जिसमें मतदाताओं की संख्या पिछली बार की अपेक्षा घट गई है। पिछली बार 29,874 मतदाता इस निकाय क्षेत्र में थे। इस बार 29,146 ही रह गए। जिन नगर पंचायतों में मतदाता कम हुए हैं, उनमें नगर पंचायत सकीट में 6,436 मतदाता पिछली बार थे, इस बार 6,118 ही रह गए। इसी तरह अवागढ़ में पिछली दफा 8,859 मतदाता थे, मगर अब 8,250 ही रह गए। यह आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि बड़े पैमाने पर फर्जी मतदाताओं का डाटाबेस तैयार किया गया था।

वहीं दूसरी तरफ एटा, मारहरा, अलीगंज नगर पालिका परिषदों में मतदाताओं की संख्या में वृद्धि हुई है। एटा पालिका परिषद में 1 लाख 1 हजार 21 मतदाता पिछली बार थे। इस बार 1 लाख 5 हजार 291 तक आंकड़ा जा पहुंचा है। इसी तरह मारहरा नगर पालिका परिषद क्षेत्र में पिछली बार 15,410 मतदाता थे, जो बढ़कर इस बार 15,878 हो गए। अलीगंज पालिका परिषद क्षेत्र में मतदाताओं की जबरदस्त बढ़ोत्तरी हुई है। पिछली बार इस क्षेत्र में 21,614 मतदाता थे, इस बार 23,491 हो गए। इसी तरह नगर पंचायत राजा का रामपुर में 8,359 मतदाता थे जो अब बढ़कर 9,083 हैं, जैथरा में 9,050 थे जो अब 9,277, निधौली कलां में 7 ,049 थे जो अब 7,190 तक पहुंच गए हैं।


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