खुलेआम हो रही जनस्वास्थ्य से खिलबाड़, विभाग मौन
जागरण संवाददाता, एटा: मुख्यालय समेत ग्रामीण अंचल में धड़ल्ले से लोगों का इलाज करके उनके स्वास्थ्य के
जागरण संवाददाता, एटा: मुख्यालय समेत ग्रामीण अंचल में धड़ल्ले से लोगों का इलाज करके उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
उच्च न्यायालय के तेवरों के चलते समूचे प्रदेश में सक्रिय हुए स्वास्थ्य विभाग ने जनता के बीच योग्य और अयोग्य चिकित्सकों के बीच के अंतर को उजागर किया। अयोग्य चिकित्सकों के चंगुल में न फंसने के लिए जनता जनार्दन को प्रेरित किया। जब तक मामला कोर्ट में रहा तब तक प्रदेश सरकार का तंत्र भी झोलाछापों के खिलाफ कार्रवाई करता रहा, पर जब अदालत में अवमानना वाद निस्तारित हुआ तो सरकारी प्रयास बंद हो गए। ऐसे में झोलाछाप चिकित्सकों की पौबारह हो गई। अब तो जिला मुख्यालय समेत प्रत्येक कस्बा और गांव में झोलाछापों की दुकानें सज रही हैं। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग अपनी आंखे मूंदे है।
सरकार के मुताबिक ये है झोलाछाप
वर्ष 2003 में प्रदेश सरकार के सचिव जगजीत ¨सह द्वारा जारी किए शासनादेश के मुताबिक झोलाछाप उन्हें माना गया है जिनका किसी भी प्रदेश की किसी भी सरकारी पंजीकरण परिषद में पंजीकरण नहीं है। इस शासनादेश के मुताबिक अगर चिकित्सक अपना किसी भी सरकारी काउंसिल का अपना पंजीकरण प्रमाणपत्र प्रस्तुत करता है तो उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।
झोलाछापों पर हो कार्रवाई
जिले में कार्यरत किसान क्लब, महिला एवं बाल उत्थान लोक कल्याण सेवा समिति, चतुर्लिंग शिव शंकर मानव उत्थान लोक कल्याण समिति समेत तमाम स्वयंसेवी संस्थाओं ने जिला प्रशासन से झोलाछाप चिकित्सकों के खिलाफ अभियान शुरू करने की शासन प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग से मांग की है।