सजने लगे देवी दरबार, नवरात्र में होगी जय-जयकार
जागरण संवाददाता, एटा: चैत्र शुक्ल प्रतिपदा में नवसंवत्सर के साथ नवरात्र पर्व का आगाज मंगलवार से होगा
जागरण संवाददाता, एटा: चैत्र शुक्ल प्रतिपदा में नवसंवत्सर के साथ नवरात्र पर्व का आगाज मंगलवार से होगा। नौ दिन चलने वाले देवी मां की भक्ति से सराबोर पर्व को लेकर शहर के माता मंदिरों में साज-सज्जा और रंग-रोगन की तैयारियां शुरु हो गई हैं। मंदिरों मे स्थापित देवी देवताओं की प्रतिमाओं को आकर्षक रूप देने में कारीगर जुट गए हैं। नवरात्र के दृष्टिगत शहर के बाजार भी सजने लगे हैं।
शहर के ठंडी सड़क स्थित माता महाकाली मंदिर, पथवारी माता मंदिर, जनता दुर्गा मंदिर, रामदरबार स्थित माता मंदिर के अलावा रैवाड़ी मुहल्ला स्थित मां शीतला मंदिर में साज सज्जा और रंग-रोगन शुरु हो गया। शनिवार को पथवारी माता मंदिर में रंग रोगन का कार्य देर शाम तक चलता रहा। कुछ ऐसा ही नजारा शहर के अन्य मंदिरों में बना हुआ है। बाजार भी पर्व की आवश्यक वस्तुओं से संवर गए हैं। उपवास की वस्तुओं के साथ ही मुकुट, देवी के श्रृंगार का सामान, माता की पोशाक, चुनरी चोला और कई तरह की वस्तुओं का उनकी दुकानों पर भारी स्टॉक है।
नव संवत्सर पर होंगे कार्यक्रम
¨हदू नववर्ष के शुभारंभ को लेकर ¨हदू संगठनों ने भी नववर्ष के आगाज के स्वागत को तैयारियां की हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व ¨हदू महासंघ, बजरंग दल, संस्कार भारती और तमाम ¨हदू संगठनों ने नववर्ष के स्वागत के लिए विभिन्न कार्यक्रमों की रुपरेखा तय की है। इस मौके पर सूर्य नमस्कार, सामूहिक व्यायाम समेत तमाम कार्यक्रम किए जाएंगे।
शक्ति रूपेण संस्थिता: पथवारी माता मंदिर
-इतिहास: लगभग 200 वर्ष पुराने ठंडी सड़क स्थित पथवारी माता मंदिर पर 30 साल पहले विशाल पीपल के वृक्ष के नीचे स्थापित देवी की पूजा से यहां धार्मिक आस्था की शुरुआत हुई। जो अब जिले से बाहर भी आस्था का केंद्र बन चुकी है। 1975 तक मंदिर के आसपास जंगल जैसी स्थिति थी। पीछे दूर तक दिखने वाला तालाब। यहां पूजा अर्चना को आने वाली महिलाएं अपने आभूषण उतारकर मंदिर आती थीं,क्योंकि यह क्षेत्र असुरक्षित माना जाता था। इसके बाद मां ने चमत्कार किया तो तीन दशक पूर्व बाबा विश्रामदास ने मंदिर की देखरेख की जिम्मेदारी संभाली। इसके बाद तो यहां श्रद्धालुओं की संख्या में ऐसी वृद्धि हुई कि श्रद्धालुओं का कांरवा बन गई।
-आस्था: माता पथवारी की कृपा से न सिर्फ यह क्षेत्र शहर के प्रमुख आबादी क्षेत्र में शुमार हुआ बल्कि मां की पूजा अर्चना करने वाले भक्तों की भी मुरादें पूरी होकर इस स्थल से आस्थाएं जुड़तीं रहीं। बाबा विश्रामदास की मृत्यु के बाद पुजारी पोखपाल ने पथवारी माता मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। चारों ओर की बाउंड्री कराई, श्रद्धालुओं की सुरक्षा का इंतजाम किया। मान्यता के अनुरूप श्रद्धालु महिलाओं, पुरुषों की नियमित पूजा अर्चना भी रंग लाई और मंदिर ने देखते ही देखते अपने भक्तों के बीच विशेष स्थान बना लिया।