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कृषि जमीन हुई खोखली, वैज्ञानिक चिंतित

जागरण संवाददाता, कासगंज: अभी तक जिले की माटी की कोख बांझ होने के कगार पर पहुंचने से कृषि विभाग परेशा

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Mar 2017 06:29 PM (IST)Updated: Sat, 25 Mar 2017 06:29 PM (IST)
कृषि जमीन हुई खोखली, वैज्ञानिक चिंतित
कृषि जमीन हुई खोखली, वैज्ञानिक चिंतित

जागरण संवाददाता, कासगंज: अभी तक जिले की माटी की कोख बांझ होने के कगार पर पहुंचने से कृषि विभाग परेशान था ही। अब वैज्ञानिकों ने भी खोखली होती जमीन पर ¨चता जताई है। सांइस एक्सप्रेस के साथ कासगंज आए वैज्ञानिक वातावरण में जहर फैला रहे पौधों के साथ ही मिट्टी की सेहत सुधारने को जिले से दो दर्जन मिट्टी के नमूने ले गए। जिनकी जांच दिल्ली केंद्रीय प्रयोगशाला में होगी।

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कभी सोना उगलने वाली धरती अब पार्थेनियम जैसे जहरीले पौधों को जन्म दे रही है। केमिकल से बीमार हो चुकी माटी की सेहत बेहतर पैदावार देने लायक नहीं बची है। यह जमीन केमिकल से तैयार फसलों के माध्यम से जहरीले पौधों को ताकत दे रही है। आज लगभग जिले के एक हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल की बंजर भूमि में सिर्फ उसर खड़ा है। जिसमें पार्थेनियम, अकाया, धतूरा जैसे जहरीले पौधे खड़े हुए है। इसके अलावा सूक्ष्म तत्वों में तेजी के साथ गिरावट आ रही है जो इस बात का प्रमाण है कि यह माटी फसलों की पैदावार नहीं बढ़ा सकती। इसके पीछे कोई और नहीं बल्कि किसान ही जिम्मेदार है। किसान ने पैदावार बढ़ाने को कंपोस्ट खाद के बजाए केमिकल का अंधाधुंध प्रयोग कर दिया, उसी केमिकल ने धरती को खोखला करते हुए उर्वरा शक्ति क्षीण कर दी है। पिछले दिनों कासगंज जिले में साइंस एक्सप्रेस ट्रेन से दिल्ली से वैज्ञानिकों का दल तीन दिन तक यहां डेरा डाले रहा। इस दौरान उन्होंने मिट्टी के साथ ही कई ऐसे पौधों के नमूने एकत्रित किए जिनसे वातावरण को खतरा है। वैज्ञानिक तो देश के अन्य प्रांतों में चले गए लेकिन शुक्रवार को कासगंज से एकत्रित किए गए नमूने केंद्रीय प्रयोगशाला दिल्ली में पहुंचा दिए है। अब यहां से मिट्टी की सेहत की जांच होगी, उसके बाद कृषि विभाग और शासन स्तर को उसकी रिपोर्ट भेजी जाएगी।

सूक्ष्म तत्वों की स्थिति

बांझ होती मिट्टी में यदि सूक्ष्म तत्वों की बात करें तो फासफोरस की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। फासफोरस की न्यूनतम 11.25 फीसद होनी चाहिए। जो शून्य रह गई है। इसके अलावा अन्य जीवांश कार्बन न्यूनतम 8 फीसद होने चाहिए है। वह मात्र 3 से 4 फीसद रह गए है। यह स्थिति ¨चतनीय है।

बिगड़ रही स्थिति

कासगंज से नमूने लेकर दिल्ली प्रयोगशाला भेजने वाले वैज्ञानिक अमलेंदु ने बताया कि वह अपनी रिपोर्ट विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग दिल्ली को भेज चुके है। कासगंज जिले में पर्यावरण में जहर घुल रहा है और उर्वरा शक्ति भी क्षीण हो रही है। जरुरी है कि किसान अब आधुनिक यंत्रों से परंपरिक खेती पर ध्यान देते हुए उर्वरक के प्रयोग से बचें।

हम भी कर रहे प्रयास

कृषि अधिकारी सुमित कुमार ने बताया कि अब तक 28 हजार मृदा नमूने लिए जा चुके है। किसानों को जागरुक करने के साथ ही प्रयास किया जा रहा है कि उर्वरा शक्ति को बढ़ाया जाए। किसानों को चाहिए है कि वह केमिकल का प्रयोग कम करें।


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