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करुण-क्रंदन, कोहराम और बेबसी

जागरण संवाददाता, एटा: अलीगंज के निकटवर्ती उन कई गांवों में जिन्होंने गुरुवार के हादसे में अपने लाड़ले

By Edited By: Published: Fri, 20 Jan 2017 11:45 PM (IST)Updated: Fri, 20 Jan 2017 11:45 PM (IST)
करुण-क्रंदन, कोहराम और बेबसी
करुण-क्रंदन, कोहराम और बेबसी

जागरण संवाददाता, एटा: अलीगंज के निकटवर्ती उन कई गांवों में जिन्होंने गुरुवार के हादसे में अपने लाड़ले खो दिए, शुक्रवार को मायूसी पसरी रही। महिलाओं का करुण-क्रंदन और चीत्कार सन्नाटे को बीच-बीच में तोड़ रहा था। दर्जनों घरों में दूसरे दिन भी चूल्हे नहीं जले। बीच-बीच में रिश्तेदारों और शुभ¨चतकों के आने पर कोहराम मच जाता।

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गांव कैला, नगला उम्मैद, नगला बिरियन और टिकैतपुरा समेत कई गांवों में शुक्रवार को मातम पसरा था। नगला उम्मैद गांव में पांच बच्चों की मौत से घर-घर कोहराम मचा हुआ था। घरों से रह-रहकर आवाजें उठतीं, ..हाय मेरे लाल कहां गए, ये क्या हो गया? इस गांव के अमरपाल के घर के बाहर लोगों का हुजूम था। रिश्तेदारों के आने का क्रम जारी था। यही हाल मासूम प्रियांशु के घर का भी था। घर में रोने-चीखने की आवाजें और बेबसी छायी हुई थी। लवीश के पिता अनिल पर जैसे मौत का पहाड़ टूट पड़ा हो। बच्चे की याद कर वे लगातार रोए जा रहे थे। रोते-रोते जमीन पर गिर पड़ते और बेहोश हो जाते। तबियत बिगड़ने पर डॉक्टर को बुलाना पड़ा। इसी गांव के पवन कुमार का पुत्र कृष्णा काल के गाल में समा गया था। उनके घर में रिश्तेदारों और शुभ¨चतकों का आवागमन बना हुआ था। रिश्तेदारों के आने पर महिलाएं और पुरुष चीख-चीखकर रोने लगते।

नगला बिरियन में र¨वद्र की पुत्री दीक्षा के निधन से घर के सभी लोग व्याकुल थे। आसपास के लोगों ने बताया कि उनके परिवार में लड़कियां कम थीं। होनहार मासूम दीक्षा को घर के सभी लोग बेहद प्यार करते थे। अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए उसे अलीगंज के स्कूल में पढ़ने के लिए भेजा था। घर के लोग उसे डॉक्टर या इंजीनियर बनाना चाहते थे। टिकैतपुरा गांव में विकास के पिता रामसेवक भी गुमसुम बैठे थे।

सनी के परिवार में बची केवल बहन

गांव कैला के 70 वर्षीय बुजुर्ग प्यारेलाल ने बताया कि उनके बेटे जगतपाल का निधन दुर्घटना में हो चुका है, जबकि बहू भी गुजर चुकी है। जगतपाल के एक बेटा सनी और एक बेटी शिवानी हुई। सनी (14) की बस दुर्घटना में मौत के बाद जगतपाल के परिवार में सनी की छोटी बहन शिवानी ही बची है। उन्होंने बताया कि शिवानी अपनी बुआ के यहां फर्रुखाबाद में रहकर पढ़ाई कर रही है। सनी के ताऊ डॉ. केपी ¨सह शाक्य ने बताया कि सनी काफी होनहार था, इसीलिए उसे अलीगंज के जेएस विद्या निकेतन स्कूल में पढ़ने के लिए भेजा था। हालांकि गांव में दो जूनियर व एक हायर सेकेंडरी स्कूल है। भाई की मौत से शिवानी का बुरा हाल था। अधिक विलाप करने पर वह बार-बार बेहोश हो जाती। घर की महिलाएं उसके मुंह पर पानी के छींटे डालकर होश में लातीं।


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