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कमरों में अंधेरा, बाहर पशुओं का बसेरा

एटा, (मिरहची) : कमरों में अंधेरा, बाहर पशुओं का बसेरा इन दिनों परिषदीय स्कूलों यही हाल बना हुआ है

By Edited By: Published: Sun, 04 Dec 2016 07:00 PM (IST)Updated: Sun, 04 Dec 2016 07:00 PM (IST)
कमरों में अंधेरा, बाहर पशुओं का बसेरा

एटा, (मिरहची) :

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कमरों में अंधेरा, बाहर पशुओं का बसेरा इन दिनों परिषदीय स्कूलों यही हाल बना हुआ है, वहीं पढ़ाई-लिखाई तो दूर की बात बुनियादी सुविधाएं भी दम तोड़ती नजर आ रहीं हैं।

क्षेत्र के कुछ स्कूलों में कुछ इसी तरह के हाल नजर आए। उच्च प्राथमिक विद्यालय सराय अहमद खां में हाल यह था कि स्कूल में वर्षो बाद भी बाउंड्रीवाल का इंतजाम नहीं है। ऐसी स्थिति में जहां विद्यालय में बच्चे असुरक्षित और स्कूल का दायरा तय न होने के कारण ग्रामीण भी अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहे। स्कूल परिसर में ही खूंटों पर पशुओं को बांधने के हालात हर रोज ही नजर आते हैं। पशुओं के रहने के कारण गंदगी भी फैलती है। बिजली के इंतजाम भी नहीं हैं, जिस कारण कमरों में भी पर्याप्त रोशनी नहीं रहती। मौसम खराब होने की स्थिति में बच्चों के सामने पढ़ने में भी तमाम दिक्कतें आती हैं।

शिक्षकों का कहना था कि ग्रामीणों से पशु न बांधने के लिए कई बार कहा जाता है तो वह लड़ने पर उतारू हो जाते हैं। कहने लगते हैं कि जहां वह पशु बांध रहे हैं, वह स्कूल की जमीन नहीं है। स्कूल परिसर में ही हैंडपंप तो लगा है, लेकिन इसका पानी कच्ची नालियों में बहकर न स्कूल की स्वच्छता को पलीता लगाता नजर आता है बल्कि बरसात में कीचड़ से और समस्या दिखाई देती है। बाउंड्रीवाल न होने के कारण यहां पौधरोपण की मंशा भी शिक्षक पूरी नहीं कर पाते। कई बार पौधे लगाए गए लेकिन पशु उन्हें उजाड़ देते हैं।

प्राथमिक विद्यालय क्वातगंज में भवन के नाम पर दो कमरे और एक प्रधानाध्यापक कक्ष है। इन दिनों कोहरे के समय कमरों में इतना अंधेरा रहता है कि बच्चे ढंग से पढ़ भी नहीं पाते। खिड़कियां खोल दी जाएं तो ठंडी हवाएं भी बच्चों के लिए घातक सिद्ध होती हैं। बच्चों के बैठने की व्यवस्था जमीन पर पट्टियों के सहारे ही है। इसके अलावा बच्चों के पीने के लिए पानी का कोई इंतजाम भी स्कूल परिसर में नहीं है। इस कारण बच्चे पानी के लिए इधर-उधर दौड़ने को मजबूर होते हैं या फिर उन्हें बोतलों में पानी भरकर लाना पड़ता है। प्राथमिक विद्यालय नगला कलुआ में तो शिक्षकों की मनमानी ही देखने को मिली कि छोटे से स्कूल भवन में भी शिक्षकों की मोटरसाइकिलें बरामदे में खड़ी थीं। यदि बच्चे खेल-खेल में उन्हें गिरा लें तो चोट लगना स्वाभाविक है। इसके अलावा यहां भी बिजली की व्यवस्था नहीं है। इस तरह ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं बच्चों से दूर हैं। खंड शिक्षाधिकारी महेश पटेल का कहना था कि वे जानकारी करेंगे और जहां तक सुधार की स्थिति होगी उन कार्यो को कराने का प्रयास किया जाएगा।

-स्थानीय व्यवस्थाओं से परहेज

जब भी चुनाव आते हैं तब बूथ बनने वाले इन स्कूलों में बिजली की वैकल्पिक व्यवस्थाएं करा ली जाती हैं। इसके बाद कोई भी जिम्मेदार समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित नहीं करता। शिक्षकों के अनुसार स्कूल की समस्याओं से समय-समय पर अवगत कराया जाता रहा है।


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