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ज्ञान के खजाने से लगेंगे हौसलों को पर

जागरण संवाददाता, एटा : पिछड़े क्षेत्रों में शुमार जिले के युवाओं का आत्मविश्वास बढ़ रहा है। मेहता पार

By Edited By: Published: Thu, 28 Jul 2016 11:06 PM (IST)Updated: Thu, 28 Jul 2016 11:06 PM (IST)
ज्ञान के खजाने से लगेंगे हौसलों को पर

जागरण संवाददाता, एटा : पिछड़े क्षेत्रों में शुमार जिले के युवाओं का आत्मविश्वास बढ़ रहा है। मेहता पार्क में दो साल पहले शुरू हुए कांपटेटिव स्टडी सर्किल में संजोए जा रहे ज्ञान के खजाने से युवाओं के हौसलों को पर लग रहे हैं और वह आत्मविश्वास के साथ सफलता के शिखर पर पहुंचने के लिए जी-जान से जुटे हैं। पहले से उपलब्ध कराईं गईं पुस्तकों के बाद अब यहां लाखों रुपये की अन्य पुस्तकें संचालन मंडल ने उपलब्ध कराईं हैं। जिनमें प्रतियोगी परीक्षाओं के साथ-साथ देशी-विदेशी लेखकों की किताबें भी युवाओं के बेहतर भविष्य की राह तैयार कर रहीं हैं।

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2 अक्टूबर 2014 को स्टडी सर्किल में निश्शुल्क को¨चग एवं पुस्तकालय की स्थापना का प्रयास तत्कालीन जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे द्वारा किया गया था। यहां युवाओं को सही राह देने के इंतजाम न होने के कारण मेहता लाइब्रेरी को स्टडी सर्किल का नया रूप दिया गया। हालांकि स्टडी सर्किल से ज्ञान पाने के बाद दो बैचों में सैकड़ों युवक-युवतियां कई प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल हुए। स्टडी सर्किल की खास बात यह रही है कि प्रशासन भी सहयोग कर रहा है। पहले ही लाखों रुपये की किताबें जो जिले के युवाओं को सहज सुलभ नहीं थीं। वह उपलब्ध हुईं। इसके बाद भी देशी-विदेशी लेखकों के साथ-साथ प्रतियोगी राष्ट्रीयकृत पुस्तकों की कमी को देखते हुए जिलाधिकारी अजय यादव ने एक लाख रुपये की पुस्तकें फिर उपलब्ध करवाईं हैं। अब स्टडी सर्किल के पुस्तकालय में सामान्य अध्ययन के साथ-साथ राजनीति शास्त्र, लोक प्रशासन, इतिहास, भूगोल, ¨हदी, एंथ्रोपोलोजी की विश्व स्तरीय पुस्तकें ज्ञान के खजाने से युवाओं के भविष्य को संजोने का काम कर रहे हैं। उधर स्टडी सर्किल में निश्शुल्क सिविल सर्विसेज के अलावा यूजीसी, बैं¨कग, रेलवे सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराए गए प्रशिक्षक जुटे हुए हैं। युवाओं के लिए यह पहल उनके सपनों को साकार करने की दिशा में अहम भूमिका निभा रही है। संचालन मंडल में लगे ए. के. दीक्षित, एआरएम संजीव यादव, मुनेंद्र चंदवरिया के अलावा प्रशासनिक अधिकारियों का उद्देश्य अभी ज्ञान के खजाने को और बढ़ाना है।

कहते हैं युवा

कभी सोचा न था कि अपने शहर में ही इतना सब कुछ मिल सकेगा। जब ज्ञान का खजाना मिल ही गया है तो उसे लूटकर भविष्य बनाने के लिए मेहनत भी करनी चाहिए।

प्रफुल्ल भारद्वाज

यहां प्रतिभाओं की कमी नहीं लेकिन संसाधनों की कमी के चलते वही युवा सफल हो पाते जिनके अभिभावक आर्थिक संपन्न हैं लेकिन अब हर युवा को ज्ञान का खजाना मिल रहा है।

कुलदीप कुमार

आधुनिक युग में पुस्तकों से दूर हो रहे युवा अब प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के बहाने पुस्तकों से फिर जुड़े हैं। इस तरह के प्रयास करने वालों को हम कभी नहीं भुला सकेंगे। पुस्तकों की उपलब्धता का महत्व मेहनत से पूरा करेंगे।

रोशनी

छात्राओं को दूर शहरों में हर अभिभावक भेजने में हिचकते थे लेकिन शहर में ही ज्ञान का खजाना मिलने की खुशी हमें ही नहीं हमारे अभिभावकों को भी है। निश्चित जिले का युवा वर्ग आगे बढ़ेगा।

शिल्पी


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