एटा में आठंवा अजूबा, कोई नहीं करता धूमपान
जागरण संवाददाता, एटा: दुनिया के सात अजूबों के तो सभी परिचित है, लेकिन एटा में हुआ आठवां अजूबा तो आश्
जागरण संवाददाता, एटा: दुनिया के सात अजूबों के तो सभी परिचित है, लेकिन एटा में हुआ आठवां अजूबा तो आश्यर्च पैदा करता है। अब जिले में कोई भी व्यक्ति धूमपान नहीं करता। न जिले में तंबाकू निषेध को बनाए गए कानून का उल्लंघन होता है। स्कूलों और अस्पतालों के आसपास तंबाकू उत्पाद प्रयोग भी नहीं होते हैं।
चौकिए मत। ऐसा हम नहीं, बल्कि तंबाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ के आंकड़े कोर्ट और सरकार के आदेशों की सच्चाई बता रहे हैं। जिले में अधिनियम के तहत कोई कार्रवाई नहीं की गई है। केन्द्र सरकार ने तंबाकू से होने वाली बीमारियों को रोकने के लिए तंबाकू निषेध कानून (कोटपा) बनाया था। कानून के तहत सार्वजनिक स्थानों पर धूमपान करते पकड़े जाने पर दो सौ रुपये का चालान काटने के निर्देश थे। जिलों में डीएम को कानून लागू करने की जिम्मेदारी दे दी गई, लेकिन सार्वजनिक स्थलों पर धूमपान रोकने को बना कानून भी धुआं की तरह ही उड़ाया जा रहा है। न धूमपान करने वाले कम हो रहे और नाहीं तंबाकू के गुटखों के शौकीन। वहीं जिम्मेदारों ने सिर्फ नो स्मोकिंग का बोर्ड लगाकर कर्तव्यों की इतिश्री कर ली है।
धूमपान निषेध अधिनियम लागू हुए सालों बीत गए हों, लेकिन इसके लागू होने की स्थिति औपचारिक ही है। स्वास्थ्य महकमे में वर्षो पहले ही कड़ाई से अनुपालन के निर्देश तो मिले और इसके बाद कइयों बार नो स्मोकिंग बोर्ड के इर्द-गिर्द ही धुएं का छल्ला उड़ाते चिकित्सक, कर्मचारी और अन्य लोग भी कितनी ही बार कैमरे में कैद होकर सार्वजनिक हुए, फिर भी तारीफ यह है कि स्वास्थ्य विभाग ने न अपनों और नाहीं अन्य किसी पर निर्धारित जुर्माना किया है। यही स्थिति परिवहन निगम और रेलवे विभाग के अलावा अन्य सरकारी सार्वजनिक स्थलों की भी है, जहां आज तक सरकारी खजाने में जुर्माने का एक रुपया जमा नहीं हुआ। जुर्माने की रसीदें तक नहीं हैं।
कभी भी शासन ने भी नहीं मांगा ब्योरा
धूमपान निषेध कानून बन गया, पालन कराने के आदेश तो हो गये, लेकिन कभी शासन ने इस बात का ब्योरा किसी भी विभाग से नहीं मांगा कि सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करने वाले कितने लोगों पर जुर्माना या कार्रवाई हुई है। खुद अधिकारी कहते हैं, जुर्माने से क्या होगा। सरकार को धूमपान की वस्तुओं पर ही प्रतिबंध लगाना चाहिए। या फिर इसके लिए किसी विशेष अधिकारी को नियुक्त किया जाए।
स्कूलों के समीप बिकता धुएं का सामान
युवा पीढ़ी तेजी से धूमपान की चपेट में आ रही है। दो महीने पहले ही स्कूलों के समीप सौ मीटर की परिधि को तंबाकू निषेध क्षेत्र घोषित कर प्रधानाचार्यो को भी जुर्माने का अधिकार दे दिया। फिर भी स्थिति यह है कि अधिकांश स्कूलों के इर्द-गिर्द सम्बन्धित वस्तुओं की बिक्री पर रोक को लेकर न कोई कार्रवाई और न हीं असर दिखाई दिया है। मुख्यालय पर ही ऐसा कोई स्कूल, महाविद्यालय नहीं है जहां चार कदम पर ही धूमपान की वस्तुएं और छल्ले उड़ाते युवा न दिखें। यहां तक कि प्रतिबन्धित सार्वजनिक स्थलों के आसपास भी यह वस्तुएं बेखौफ बिक रही हैं।