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यूपीटीयू: गणित में फंसे, भौतिकी में हंसे

जागरण संवाददाता, एटा: कोई गणित के प्रश्नों को देखकर उलझ गया, तो कोई रसायन विज्ञान के सवालों को देखकर

By Edited By: Published: Sun, 19 Apr 2015 06:51 PM (IST)Updated: Sun, 19 Apr 2015 06:51 PM (IST)
यूपीटीयू: गणित में फंसे, भौतिकी में हंसे

जागरण संवाददाता, एटा: कोई गणित के प्रश्नों को देखकर उलझ गया, तो कोई रसायन विज्ञान के सवालों को देखकर चकराया। वहीं भौतिकी के प्रश्नों को हल करने में उनको कोई परेशानी नहीं हुई। कुछ ऐसे ही नजारे रविवार को उत्तर प्रदेश प्राविधिक विश्वविद्यालय (यूपीटीयू) प्रवेश परीक्षा के दौरान नजर आए। जिले में पहली बार केंद्र बनने पर जहां परीक्षार्थियों की परेशानी कम हुई, वहीं प्रश्नपत्र देखकर भी परीक्षार्थियों की चेहरे खिले रहे। शहर के एसबी पब्लिक स्कूल में चार पालियों में 609 में से 568 परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी। वहीं 41 परीक्षार्थियों ने परीक्षा छोड़ दी।

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रविवार को यूपीटीयू प्रवेश परीक्षा के चलते सुबह छह बजे से ही आगरा रोड स्थित परीक्षा केंद्र एसबी पब्लिक स्कूल के बाहर परीक्षार्थियों की भीड़ नजर आई। इस दौरान निरीक्षण टीम ने परीक्षार्थियों की तलाशी और प्रवेश पत्र देखकर केंद्र में प्रवेश दिलाया। सुबह साढ़े सात बजे पहली पाली में इंजीनियरिंग और फार्मेसी द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षा हुई। इस दौरान 11 परीक्षार्थी मौजूद रहे जबकि एक परीक्षार्थी ने मैदान छोड़ दिया।

वहीं दूसरी पाली में सुबह दस बजे से इंजीनियरिंग एवं फार्मेसी प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा में 489 परीक्षार्थी पहुंचे, वहीं 31 परीक्षार्थियों ने परीक्षा छोड़ दी। इस दौरान निरीक्षण टीम ने परीक्षार्थियों की सघन तलाशी ली। वहीं तीसरी पाली में दोपहर दो बजे से आर्किटेक्चर प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा में 62 में से 46 परीक्षार्थी ही पहुंचे। जबकि शाम पांच बजे हुई परीक्षा में 15 में से तीन परीक्षार्थी अनुपस्थित रहे। इस दौरान यूपीटीयू से आए परीक्षा नियंत्रक डा. प्रशांत द्विवेदी, मुकेश कुमार, रविंद्र कुमार सिंह, प्रधानाचार्य नरेश बाबू यादव समेत तमाम विद्यालय शिक्षकों ने कड़ी निगरानी रखी।

कम हुआ अनुपस्थिति का आंकड़ा

यूपीटीयू प्रवेश परीक्षा को जिले में पहली बार केंद्र बनाया गया। इससे परीक्षार्थियों की परेशानी काफी हद तक कम हुई। वहीं प्रवेश परीक्षा में अनुपस्थित परीक्षार्थियों का आंकड़ा भी कम हुआ। पिछले वर्ष तक परीक्षा के लिए आगरा में केंद्र बनाया जाता था। जिसमें अनुपस्थित परीक्षार्थियों का आंकड़ा सैकड़ों में होता था। प्रधानाचार्य नरेश बाबू यादव ने बताया कि जिले में परीक्षा केंद्र बनने से परीक्षार्थियों की काफी परेशानी कम हुई है। परीक्षार्थी अंकिता बताती हैं कि दूसरे शहर में परीक्षा केंद्र होने से सबसे ज्यादा परेशानी छात्राओं को होती है। अगर वे अकेले परीक्षा देने जातीं, तो परिजनों को डर सताता था। लेकिन अब शहर में ही परीक्षा केंद्र बनने से काफी सहूलियत मिली है।


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