स्थान बदलते ही बढ़ जाता सब्जियों का भाव
जागरण संवाददाता, कासगंज (एटा): महंगाई बढ़ रही है, जो कम होने का नाम नहीं ले रही। दूसरी तरफ महंगाई के
जागरण संवाददाता, कासगंज (एटा): महंगाई बढ़ रही है, जो कम होने का नाम नहीं ले रही। दूसरी तरफ महंगाई के नाम पर शहर के उपभोक्ता हर रोज लूटे जा रहे हैं। बात सब्जियों की हो रही है, जो सभी स्थानों पर एक जैसी ही हैं पर दाम मार्केट के हिसाब से वसूला जा रहा है। कुछ दुकानदार तो सब्जियों को साफ-सुथरा कर और सजाकर उनकी कीमतें बढ़ा लेते हैं।
प्रतिदिन रोजमर्रा के सामानों के दाम में उछाल हो रहा है। फिलहाल बात कर रहे है सब्जियों की। जिसकी खरीददारी भी अब आम लोगों के बस की बात नहीं रह गई। ऊपर से इस शहर में सब्जियों के भाव तो पूछिए मत। यहा के उपभोक्ताओं को दोहरी मार का सामना करना पड़ रहा है। सच तो यह है कि जितनी जगह यहा सब्जियों के बाजार सजते हैं, उतने तरह के भाव भी लगाए जा रहे हैं।
शहर में पांच प्रमुख स्थानों पर सब्जियों का बाजार सजता है, नदरई गेट, बिलराम गेट, बाराद्वारी, सहावर गेट, सोरों गेट, लेकिन सभी स्थानों पर भाव एक जैसे नहीं मिलेंगे। हकीकत तो यह है कि ग्राहकों की तादात देख भाव दुकानदार ही तय करता है। बिलराम गेट पर नदरई गेट की तुलना में प्रत्येक सब्जी 2 से 3 रुपए किलो तक ऊंचे भाव तक बिकती है, क्योंकि यहा ऐसे लोग पहुंचते हैं, जिन्हे अन्य मंडी में जाने की फुर्सत नहीं।
उपभोक्ता राकेश से जब बातचीत की गई तो उसने बताया कि काम से फुर्सत नहीं है। मुख्य मण्डी में देर शाम सब्जी रहती ही नहीं है अत: उप मंडियों में भले ही सब्जी थोड़ी महंगी मिलती हैं लेकिन उपलब्ध रहती है। सुबह तो सब्जियों के भाव अधिकांश दुकान और रेहड़ी पर समान ही रहते हैं, लेकिन सूरज ढलते ही सब्जियों का दाम अपने आप गिर जाता है। विशेषकर हरी सब्जियां जैसे पालक, मैथी, जैसी सब्जियों के दाम गिरते हैं। इन सब्जियों का खराब होने का डर रहता है।