विभाग की लापरवाही कहीं कर न दे तबाही
जागरण संवाददाता, कासगंज (एटा): प्रशासनिक बैठक के दौरान बाढ़ नियंत्रण को अभी से तैयार रहने को कहा गया
जागरण संवाददाता, कासगंज (एटा): प्रशासनिक बैठक के दौरान बाढ़ नियंत्रण को अभी से तैयार रहने को कहा गया हो लेकिन संबंधित विभाग संवेदनशील नहीं दिख रहा। तराई इलाकों में कच्चे-पक्के बांधों के निर्माण के नाम पर कागजी खाना पूर्ति हो रही है।
नदी में बाढ़ तो हर साल आती है, लेकिन समय पर उचित प्रबंध नहीं किए जाते। जब काम का समय होता है तो सिर्फ योजनाएं बनती रहती हैं। उन पर काम शुरू नहीं हो पाता कि बाढ़ आ जाती है। तबाही मचती है तो बाढ़ पीड़ितों के आसू पोंछने की कोशिश की जाती है। इस बार भी समय से बंधों की मरम्मत नहीं कराई गई तो सैकड़ों गाव तबाह होंगे।
जिले में लहरा, दतलाना, बघेला, सहावर, कादरगंज क्षेत्र में हर साल गंगा नदी में आने वाली बाढ़ से दर्जनों तटवर्ती गाव हर साल उजड़ते-बसते हैं। सोरों क्षेत्र में गंगा पार के आधा दर्जन गाव तो हर साल जलमग्न हो जाते हैं। इसी तरह पटियाली क्षेत्र में नदी कहर बरपाती है। बरसात के मौसम में हर साल बाढ़ की विनाशलीला देखनी पड़ती है। सैकड़ों परिवार बेखर होते हैं फिर पूरा साल वैसे ही गुजर जाता है लेकिन बचाव के लिए कोई ठोस उपाय नहीं हो पाते।
जिले की सीमाओं में गंगा करीब 70 किमी क्षेत्रफल में फैली हुई है। इस क्षेत्र में दर्जनों बांध बनाए गए हैं। गत वर्ष उढैर और कादरगंज में बांध की मरम्मत कराई गई थी, लेकिन पानी के दबाव ने बांध को तोड़ दिया। बाढ़ बचाव के लिए सर्वाधिक संवेदनशील सोरों क्षेत्र के कई ग्रामों का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। जिसमें बाढ़ नियंत्रण के लिए धन मांगा गया है। शासन से धन नहीं मिला तो बीते वर्ष की भांति इस वर्ष भी बाढ़ की तबाही झेलनी होगी।
सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता नरेश उपाध्याय कहते हैं कि गंगा के तराई इलाकों में बांध का कार्य बीते लंबे समय से चल रहा है। तमाम स्थानों पर कच्चे बांध बनाए जा चुके हैं। कटान और बाढ़ की तबाही रोकने के लिए स्टड बनाए जाते हैं।