परंपराओं पर ग्रहण से सेहत पर हमला
जागरण संवाददाता, कासगंज (एटा): रंगों से सराबोर व मस्ती भरा त्योहार होली अब बेहद करीब है, लेकिन बदलते
जागरण संवाददाता, कासगंज (एटा): रंगों से सराबोर व मस्ती भरा त्योहार होली अब बेहद करीब है, लेकिन बदलते परिवेश के आगे इस पर्व का रंग भी फीका पड़ गया है। ऊपर से महंगाई और मिलावट। इसका जेब और सेहत पर हमला हुआ तो लोगों का जीवन संगीत बेसुरा लगने लगा है। पुरानी परम्परा पर भी ग्रहण लग गया। अब लोगों में त्योहार के प्रति उल्लास कम बाजार का भरोसा ज्यादा बढ़ गया है।
जोश, उमंग और रंग भरे त्योहार होली का इंतजार बच्चे बुजुर्ग सभी को रहता। बच्चों को कुछ ज्यादा ही। उनकी नजर तो सिर्फ मीठे पकवान पर होती है। जैसे ही घरों में गुझिया बननी शुरू हुई फिर क्या भूल गए खेलकूद और चखने लगे स्वाद। इनसे कम बुजुर्ग भी नहीं होते थे, लेकिन अब बदल गए परिवेश। न वो तैयारी देखने को मिल रही और न ही बच्चों की वो हरकत। महंगाई की मार संयुक्त परिवार पर भी पड़ रही है। अब तो लोग त्यौहार के दिन घर मुश्किल से ही पहुंच पाते हैं।
दूसरी तरफ मिलावट ने बुजुर्गो और बच्चों की जुबान पर ताला जड़ दिया है। लोगों को अब पकवान से ज्यादा सेहत की फिक्र है। साथ ही तैयारी की किसे फुर्सत। जब सब कुछ बजट के मुताबिक बाजार में मिल जा रहा है।
गृहणी आकांक्षा शर्मा कहती हैं कि एक दशक पूर्व का दौर कुछ और ही था। एक माह पहले से ही होली की तैयारिया शुरू हो जाती थीं। गीत गानों के साथ मुहल्ला भी गुलजार रहता था। अब क्या है, खोया माग के मुताबिक मिलता नहीं और मिला भी तो मिलावट का डर। ऐसे में सेहत से सौदा कौन करे? हां चिप्स और पापड़ घर पर बना लेते हैं। जो दो दिन का काम है। वे कहती हैं काम से फुर्सत नहीं। महंगाई से हर कोई वाकिफ है। फिर त्योहार को बेहतर ढंग से ही मनाया जाता है। नमकीन और मिठाई की खरीददारी करती हूं।
सजीं हुई हैं दुकानें
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फिलहाल पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष नमकीन की दुकानें कम सजी है, लेकिन दुकानदारों को बिक्री की पूरी उम्मीद है। बिलराम गेट स्थित दुकानदार गोल्डी कहते है कि पिछले वर्ष रोल, चिप्स, पापड़ और अन्य नमकीन की बिक्री अपेक्षा से ज्यादा हुई। फिलहाल अभी खरीददारी उतनी नहीं हो रही। इस बार दाम में पंद्रह फीसदी का उछाल है।