प्रतिभाओं को 'अनुभूति' दे रही सहारा
जागरण संवाददाता, एटा: पटियाली के तराई क्षेत्र। स्कूल भी थे और मेधाएं भी। मगर गरीबी और पिछड़ापन हौसला
जागरण संवाददाता, एटा: पटियाली के तराई क्षेत्र। स्कूल भी थे और मेधाएं भी। मगर गरीबी और पिछड़ापन हौसला के पंखों को उड़ान भरने में बाधा बना था। हालात को 'अनुभूति' ने परखा और फिर ऐसा उड़ान शुरू हो गई। पटियाली के दो होनहारों नितिन तिवारी व प्रशांत तिवारी सफलता का आसमां चीरते हुए आइआइटी लखनऊ तक पहुंच गए। वहीं 47 छात्र पुलिस में भर्ती होने में कामयाब रहे।
वर्ष 2007-08 में पटियाली क्षेत्र में अशिक्षा, गरीबी और पिछड़ेपन को देखकर संस्था ने यहां दस्तक दी। एटा के आइपीएस दंपति अंशुमान यादव और किरन यादव की संस्था 'अनुभूति' गरीबों को बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए उनके हाथ थाम लिए। तराई क्षेत्र तथा मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में जहां अभिभावकों में बच्चों को स्कूल भेजने में रुचि नहीं थी, वहां उन्हें जागरुक कर बच्चों को शिक्षित बनाने के लिए प्रयास शुरू किए। जागरुकता शिविरों के द्वारा मां-बाप को यह अहसास भी कराया कि गरीबी के अंधियारे को शिक्षा का उजाला ही हरेगा।
जागरुकता रंग लाती दिखी तो संस्था ने 2010-11 में विद्यार्थियों को रोजगार परक निश्शुल्क शिक्षा देने के पटियाली में केंद्र खोला। मुहल्ला सराफा में टेक्निकल इंस्टीट्यूट को स्थापित करवाकर कानपुर की उत्तम कंप्यूटर इंस्टीट्यूट को इसी जिम्मेवारी सौंपी। केंद्र में मेधावी विद्यार्थियों को डिप्लोमा इन कंप्यूटर एप्लीकेशन, डिप्लोमा इन हार्डवेयर, नेटवर्किंग सहित अन्य रोजगार में सहायक कंप्यूटर शिक्षा दिलाई जा रही है। तीन बैच 40-40 विद्यार्थियों के लगातार संचालित हैं। संस्था विद्यार्थियों का चयन खुद के द्वारा आयोजित परीक्षाओं में करती है। इन सब व्यवस्थाओं का खर्चा संस्था ही वहन कर रही है।
यही नहीं अनुभूति ने अन्य क्षेत्रों में आगे बढ़ने की क्षमता रखने वाले विद्यार्थियों के लिए भी अपने स्तर से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी का जिम्मा संभाल रखा है। पटियाली के ही नितिन तिवारी व प्रशांत तिवारी संस्था के सहारे से हाल ही में आइआइटी लखनऊ तक पहुंच सके हैं। इसके अलावा पिछले साल पुलिस भर्ती की लिखित परीक्षा में भी संस्था के सहारे से 47 विद्यार्थी कामयाब हुए।
वर्ष में कई बार मेधावियों की छटनी को प्रतियोगिता कराने का उद्देश्य भी यही है कि सामने आने वाली प्रतिभाओं को उनकी रुचि के अनुरूप संस्था उनकी जरूरतों को पूरा कर सके। समय-समय पर दिल्ली विश्वविद्यालय के कैरियर विशेषज्ञों का मार्गदर्शन भी गरीब मेधावियों को दिलाया जा रहा है। इन कार्यो की बदौलत पूरे तराई क्षेत्र में अनुभूति की अलग पहचान है। शाहिद मलिक कहते हैं कि संस्था अंधेरों में उजाले से कम नहीं। चाहत मियां का मानना है कि आगे भी क्षेत्र के सितारे इन प्रयासों से चमकेंगे।
आइपीएस पति की प्रेरणा ने चमकी 'किरन'
एटा के रहने वाले दिल्ली कॉडर के आइपीएस अंशुमान यादव और उनकी पत्नी किरन यादव में समाजसेवा का भाव जागा। पहले दंपति अपने स्तर पर गरीबों की मदद करते थे। अंशुमान साहित्यकार डॉ.राम सिंह के बेटे हैं, वहीं किरन पूर्व सांसद देवेंद्र यादव की बेटी है। वर्तमान में डीआइजी के पद पर पदस्थ अंशुमान की प्रेरणा से किरन ने समाजसेवा में अपने कदम आगे बढ़ाए और अनुभूति संस्था का जन्म हुआ। आइपीएस अंशुमान यादव समिति के संरक्षक के रूप में अपनी ड्यूटी से वक्त निकालकर सहयोग करते हैं। जबकि किरन संस्था को बतौर सचिव संचालित कर रही हैं। संस्था की अध्यक्ष रीता त्यागी भी मिशन में शामिल हैं। वर्तमान में किरन उप्र पिछड़ा वर्ग आयोग की सदस्य हैं।
समाजसेवी कार्यो में भी पीछे नहीं
सिर्फ गरीब विद्यार्थियों के सपने साकार करने के अलावा अनुभूति तराई क्षेत्र के गरीबों के हर दुख-सुख में शामिल है। चाहे सर्दी में गरीबों को कंबल देकर राहत पहुंचाने का काम हो या फिर अग्निकांड के वक्त पीड़ितों को सहायता की जरूरत, संस्था उनके समीप ही नजर आती है। इसके अलावा स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन कर भी हर साल हजारों लोगों को राहत दी जा रही है।
उनको भी चमकाया
अनुभूति के प्रयासों से दरियावगंज के युवा साहित्यकार प्रेमकिशोर की काव्य कृतियों की पुस्तक का प्रकाशन संस्था ने कराया। वहीं दिल्ली के प्रगति मैदान मेले में सहभागिता कराकर युवा के जीवन को नई राह दी। पटियाली के ही एथलीट हजरत मिर्जा को सीआरपीएफ की दिल्ली में आयोजित 50वीं मिनी मैराथन तक पहुंचाकर हौसला बढ़ाने का श्रेय संस्था को है।