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फिर नहीं रही स्कूलों के चिन्हांकन की याद

जागरण संवाददाता, एटा: शिक्षा का अधिकार अधिनियम के पालन को लेकर भले ही खूब हल्ला हो, लेकिन बेसिक शिक्

By Edited By: Published: Sat, 25 Oct 2014 09:00 PM (IST)Updated: Sat, 25 Oct 2014 09:00 PM (IST)
फिर नहीं रही स्कूलों के चिन्हांकन की याद

जागरण संवाददाता, एटा: शिक्षा का अधिकार अधिनियम के पालन को लेकर भले ही खूब हल्ला हो, लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग का हाल यह है कि अभी तक स्कूलों का चिन्हांकन कर उन्हें श्रेणीबद्ध भी नहीं कर सका है। अधिनियम के तहत अभी भी गैर मानक संचालित स्कूलों की संख्या विभाग पर नहीं हैं। कारण यही है कि शिक्षाधिकारियों को सौंपी गई जिम्मेदारी में वह जानबूझकर लेटलतीफी कर रहे हैं।

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प्रदेश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम भले ही जुलाई 2011 में प्रदेश सरकार ने लागू कर दिया। इसके बावजूद ढाई साल का समय गुजरने को है, लेकिन जिम्मेदार विभाग स्कूलों को अभी तक अधिनियम के तहत नियमों की कसौटी पर भी नहीं कर सका है। सिर्फ सरकारी स्कूलों और वहां के शिक्षकों को भले ही नए अधिनियम का हर साल पाठ पढ़ाया जा रहा हो, लेकिन मान्यता प्राप्त और बिना मान्यता के ही संचालित स्कूलों की आंकड़ेबाजी अभी भी उलझी हुई है। चूंकि अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत मानक पूर्ण न करने वाले स्कूलों को नोटिस देकर तीन साल में खामियों को पूरा कराया जाना था, लेकिन हर साल ऐसे स्कूलों के चिन्हांकन के निर्देश तो ब्लाक स्तर के शिक्षाधिकारियों को जारी कर दिए जाते हैं, लेकिन चिन्हांकन की स्थिति जिला स्तर पर अभी तक साफ नहीं है।

मौजूदा शिक्षा सत्र की शुरूआत में हुई समीक्षा के दौरान भी जिले के स्कूलों का मानकों के अनुरूप चिन्हांकन न हो पाने के कारण काफी किरकिरी हुई। इसके बावजूद न तो विभाग का मानक पूर्ण न करने वाले स्कूलों का चिन्हांकन ही पूरा हुआ है और बिना मान्यता के संचालित स्कूलों की संख्या जुटाकर उनके विरुद्ध कार्रवाई की बात तो और भी दूर है। इस तरह स्पष्ट है कि अधिनियम के तहत स्कूलों का संचालन होने में अभी तो वर्षो लगेंगे। चिन्हांकन पूरा न होने का दोष जिन जिम्मेदारों का है, उनकी जवाबदेही भी तय न कर कोई कार्रवाई नहीं हो रही। निजस्वार्थो की वजह से मानक पूर्ण न होकर भी स्कूल संचालित हो रहे हैं। इस संबंध में बीएसए एसएस यादव का कहना है कि गैर मानक स्कूलों का चिन्हांकन जल्द पूरा हो जाएगा। वैसे बिना मान्यता के संचालित अधिकांश स्कूल पूर्व में ही नोटिस देकर बंद कराए जा चुके हैं।


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