हजारों रसोइयों की फिर फीकी दीपावली
जागरण संवाददाता, एटा: सरकारी स्कूलों में बच्चों के लिए मि-डे मील पकाने वाली रसोइयां महिलाएं इस बार भ
जागरण संवाददाता, एटा: सरकारी स्कूलों में बच्चों के लिए मि-डे मील पकाने वाली रसोइयां महिलाएं इस बार भी त्योहार पर निराश रह गई। त्योहार से पहले ही मानदेय मिलने की आस टूट गई। ऐसे में त्योहार विभाग की लापरवाही से फीका होकर रह गया।
जिले में 1800 परिषदीय स्कूलों के अलावा 100 मान्यता प्राप्त और सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों में मिड-डे-मील योजना संचालित है। यहां बच्चों के लिए खाना पकाने वाली महिलाओं को सिर्फ 1000 रुपये मासिक मानदेय तय है। हर बार की तरह यह मानदेय भी इन महिलाओं को त्योहार पर नसीब नहीं हो सका। मौजूदा शिक्षासत्र में जुलाई से अब तक जिले में कार्यरत लगभग 4200 महिलाओं में से किसी को भी मानदेय नहीं मिल सका। पिछले वर्षो भी इस तरह की स्थितियां रसोइयां महिलाओं के सामने आती रही हैं। गरीब और असहाय तबके की यह महिलाएं कुछ राहत मिलने के कारण स्कूलों में नौकरी कर रही हैं। फिर भी उनके नियमित मानदेय की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। इस साल भी दीपोत्सव से पहले ही महिलाएं मानदेय दिलाने की बात करती रहीं, लेकिन देरी से मिले बजट और फिर विभाग में लेखाधिकारी के स्थानांतरण से प्रक्रिया बाधित हो गई। जिसका परिणाम यह रहा कि त्योहार से पहले बजट उपलब्ध होने के बावजूद भी इन गरीब महिलाओं के हाथ मानदेय नहीं लग सका।
ब्लाक शीतलपुर में कार्यरत मीरा का कहना है, त्योहार तो मनेगा, लेकिन अपनी मेहनत का पैसा मिलता तो ज्यादा खुशी होती। फिलहाल उधारी से काम चलाना पड़ेगा। सूरजवती का कहना था, सुना तो यह था कि इस साल से मानदेय हर महीने मिलेगा, लेकिन हम कम पढ़ी-लिखी और अशिक्षित महिलाओं को गुमराह किया जा रहा है। उधर एमडीएम जिला समन्वयक अमित चौहान ने बताया है, रसोइया महिलाओं का मानदेय निर्गत संबंधी कार्रवाई पूरी हो गई है। अब त्योहार बाद बैंके खुलते ही तीन माह का मानदेय खातों में पहुंच जाएगा।