पटाखे नहीं, किसी की दीपावली न हो बदरंग
जागरण संवाददाता, एटा, कासगंज: दीपावली खुशियों का त्योहार है। इसे पूरे जोश और खुशी के साथ मनाया जाए।
जागरण संवाददाता, एटा, कासगंज: दीपावली खुशियों का त्योहार है। इसे पूरे जोश और खुशी के साथ मनाया जाए। पटाखों के कारण दीपावली पर वायु और ध्वनि प्रदूषण भी खतरनाक रुप से बढ़ता है। खतरनाक और घातक पटाखों से दुर्घटनाएं भी होती है। त्योहार की खुशिया गम में न बदल जाएं, इसके के लिए खुशियों के इस त्योहार से अच्छे ढंग से मनाया जाए। इकोफ्रेंडली दीवाली मनाने के लिए लोगों में जागरुकता पैदा करना सबसे जरुरी है।
मनोज कुमार सोलंकी कहते है, दीपावली दीपों पर उत्सव का पर्व है लेकिन इसमें पटाखें का प्रयोग खतरनाक है, जो हर वर्ष बढ़ता जा रहा है। आतिशबाजी के नाम पर धन का अपव्यय भी अब दिखावे के लिए होने लगा है। पर्यावरण के लिहाज से यह बेहद खतरनाक है। ऐसे पटाखों का प्रयोग हो, जिसमें धुआ व शोर न के बराबर हो।
अभिषेक चौहान का कहना है, दीपावली के उपलक्ष्य में रात-दिन बजने वाले पटाखों से जीवन पर खतरनाक प्रभाव पड़ने के साथ गंदगी भी काफी बढ़ती है। चेयरमैन रूपकिशोर कुशवाह का कहना है कि प्रशासन सुरक्षित और साफ-सुथरे तरीके से दीपावली मनाने के लिए लोगों को जागरुक कर रहा है। इस्तेमाल किए जाने वाले पटाखे अत्यन्त ज्वलनशील न हों, इससे गंदगी न फैले, इसके लिए नगर प्रशासन अभी से प्रयास शुरु करने जा रहा है। पटाखों का संबंध सीधे ध्वनि वायु प्रदूषण से होता है। आवासीय इलाकों में पटाखों का इस्तेमाल कम हो, इसके लिए भी पंचायत प्रशासन कोशिश कर रहा है।
सेवानिवृत्त शिक्षक प्रद्युम्न कुमार मिश्र कहते है, भारतीय संस्कृति पूजन की है इससे लोग लगातार दूर हो रहे हैं। दीपावली में पटाखों का इस्तेमाल सबसे दुखद है। पटाखों की आड़ में आपराधिक प्रवृति के लोग भी इसका पूरा फायदा उठाते है। पर्यावरण को नुकसान से बचाने के लिए इकोफ्रेंडली दीवाली होनी चाहिए।