स्कूलों की रसोई पर फिर राजनीति
जागरण संवाददाता, एटा: भले ही परिषदीय स्कूलों की रसोई और यहां नियुक्त होने वाली रसोइया महिलाओं का मामला विभाग के लिये हल्का हो लेकिन यहां भी राजनीति है। जो काम विभाग को रसोइया महिलाओं की पुन: नियुक्ति के लिए जून में ही निपटाना था, वह अभी तक अटका पड़ा है। कारण यही है कि प्रधानी के आगामी चुनाव में इन नियुक्तियां में भी दखलअंदाजी कर दी है। जिसके चलते शिकायतों के निस्तारण में ही विभाग के जिम्मेदार उलझे पड़े हैं।
शासन के निर्देशों के अनुरूप नये शिक्षा सत्र के शुरू होने से पहले ही रसोइया महिलाओं का चयन निर्धारित मानकों के आधार पर निर्धारित है। इस साल यह कार्य विभाग की सक्रियता के बावजूद भी अब तक पिछड़ा हुआ है। मानकों के अनुरूप पूर्व में कार्यरत महिलाओं को प्रधानाध्यापक अच्छे कार्य के चलते पुन: नियुक्त कर सकते हैं। शर्त यह जरूरी है कि उनका बच्चा विद्यालय में अध्यनरत हो। इस बार महिलाओं की नियुक्ति का काम वैसे तो निपट चुका था, लेकिन गांव की राजनीति में ब्लॉक की सूचियां अब तक फाइनल नहीं हो पाई हैं। स्थिति यह है कि प्रधानी का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे लोग मौजूदा प्रधानों के हस्तक्षेप से स्कूलों में कार्यरत महिलाओं को हटवाने की जुगत में है। वह अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए अपने पक्ष की महिलाओं को सूची में शामिल कराने को हथकंडे अपना रहे हैं। लगभग सभी ब्लॉकों में इस तरह की शिकायतें विभाग को मिली हैं, जिनमें कार्यरत महिलाओं की इस आधार पर शिकायत की गई है कि उनका कोई भी बच्चा स्कूल में नहीं पड़ रहा, इसलिए उन्हें पुन: नियुक्ति किया जाना अनुचित है। अधिकारी भी इन शिकायतों के निस्तारण के पचड़े में पड़े हुए हैं। प्रधानाध्यापक भी इसलिए परेशान हो गये हैं कि अधिकारी मानकों की पूर्ति के लिए उनसे आख्या लिखवा रहे हैं। इस तरह के हाल में स्कूलों की रसोई का काम भी प्रभावित है। वहीं अब तक इस साल कार्य करने वाली रसोइया महिलाओं की सूची विभाग फाइनल नहीं कर पा रहा। जिला समन्वयक एमडीएम अमित चौहान का कहना है कि सभी ब्लॉकों के शिक्षाधिकारियों को इस संबध में कहा जा चुका है कि वह मामलों का निस्तारण कर सूचियां उपलब्ध करा दें, ताकि उनके मानदेय के लिए बजट की मांग की जा सके।