फोटो: शुभ मुहूर्त की महिमा है विशेष फलदायी
एटा-गंजडुण्डवारा: शुभ मुहूर्त की महिमा के अंतर्गत वैदिक काल में तीन बिन्दुओं पर विचार होता था। देश, काल, पात्र इन पर जैसा साधक ध्यान देते थे वैसा ही उन्हें फल प्राप्त होता था। क्योंकि कश्यप ऋषि महान तपस्पी होते हुए पत्नी दिति के द्वारा सायंकाल बेला में ग्रहस्थ धर्म का पालन बिना विचारे ही कर डाला, तो परिणाम स्वरूप आसुरी प्रवृत्ति के पुत्र हिरण्याकश्यप पैदा हुए। उक्त महिमा का बखान भागवत कथा के अंतर्गत हरिद्वार से आए स्वामी सुरेशानंनद सरस्वती महाराज ने कथा के चौथे दिन व्यक्त किये।
स्वामी जी ने कहा कि इसी वंश में परम विदुषीदेवी कयादू के गर्भ से भक्त शिरोमणि प्रहलाद का जन्म हुआ। क्योंकि कयादू को देवर्षि नारद ने संतान प्राप्ति का मुहूर्त बतलाया था। उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का एवं कृष्ण का जन्म भी शुभ मुहूर्त में हुआ जिन्होंने विश्व को शांति एवं कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया।
उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम राजतिलक मुहूर्त में कोई कमी रह गई। जिससे राजा दशरथ का जीवन मरण, महारानियों का वैधव्य तथा राम लक्ष्मण सीता को चौदह वर्ष का वनवास हुआ। अयोध्या अशांत अनाथ और अस्थिर हो गई। किन्तु जब श्री राम ने राक्षसी विचारधारा को समाप्त करने के लिये महाकाल शिव की आराधना स्थापना का संकल्प लिया जो शुभ मुहूर्त में हुआ।
लिंग थापि विधिवत करि पूजा
शिव समान नहीं प्रिय मोहि दूजा।।
उन्होंने कहा कि अशुभ मुहूर्त के कारण ही आसुरी शक्तियां जन्म लेती रही हैं। अत: हर कार्य का शुभारंभ बताए गए मुहूर्त में ही करना चाहिये। इसके अतिरिक्त भी उन्होंने वैदिक काल की अनेक पौराणिक कथाओं का विस्तार से उल्लेख किया।
उक्त अवसर पर रघुराज सिंह, गौरव, अर्चना देवी के अतिरिक्त रनवीर सिंह, कृष्णपाल सिंह, रवीन्द्र सिंह, लोकपाल सिंह, उदयवीर सिंह, जगदीश प्रभु जी, राजीव गुप्ता, विनोद वर्मा, आमोद गुप्ता उपस्थित थे।