न्याय की आस में रात- दिन धरने पर जमे किसान
जागरण संवाददाता, एटा: कलक्ट्रेट स्थित धरना स्थल पर उनका दिन गुजर रहा है और वहीं रात कट रही है। लगातार तीन दिनों से धरने पर बैठे किसान हटने को तैयार नहीं, जबकि इन दिनों में अफसर भी उनकी सुनने को नहीं पहुंचे। अपनी पट्टे की जमीन जाते देख किसान पहले भी यहीं धरना कर चुके हैं, लेकिन इस बार आर-पार करने के मूड़ में हैं।
जलेसर तहसील क्षेत्र के गांव सांथा नवीपुर के किसान अपनी जमीन को लेकर पिछले कई महीनों से परेशान हैं। तहसील स्तर पर समस्या का समाधान न होने के चलते वे जिला मुख्यालय स्थित धरना स्थल पर डेरा डाले हुए हैं। गांव के सोनपाल, रमेश, ममता, जयवीर, राजू, छोटे आदि ने बताया कि कुछ किसानों की पट्टे की जमीन पर ग्राम प्रधान ने अनाधिकृत रूप से अपने ही परिजनों को पट्टे कर दिए। विपक्षियों ने मई में फसल जलाकर और मेड़ें तोड़कर उनकी जमीन पर कब्जे का प्रयास किया। मामले की रिपोर्ट दर्ज हुई, लेकिन पुलिस ने कार्रवाई में दिलचस्पी नहीं ली। जिस पर किसानों ने कलक्ट्रेट परिसर में ही तीन दिन धरना दिया था। तत्कालीन एडीएम प्रशासन सर्वेश कुमार दीक्षित ने उन्हें आश्वासन दिया कि विपक्षियों को दूसरे स्थान पर जमीन उपलब्ध कराई जाएगी।लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और विपक्षी अब भी उनकी जमीन पर कब्जा करने को दबाव बना रहे हैं। जलेसर में पुलिस और प्रशासन द्वारा न सुने पर जाने पर सोनपाल आदि ने कलक्ट्रेट परिसर स्थित धरना स्थल पर 21 जुलाई से धरना शुरू कर दिया। न्याय की आस में यहां वे रात-दिन डटे हुए हैं। यह बात अलग है कि कलक्ट्रेट पर ही मौजूद रहने वाले अफसरों ने अब तक उनकी समस्या नहीं सुनी है। जलेसर के उपजिलाधिकारी संदीप कुमार गुप्ता ने बताया कि गांव में पट्टे की जमीन का मामला अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व के न्यायालय में विचाराधीन है। न्यायालय से जो निर्णय होगा उसके अनुसार कार्रवाई कराई जाएगी।