उत्तर प्रदेश के देवरिया में सेना की वर्दी में दिखे पांच संदिग्ध बने पहेली
देवरिया के एसपी मोहम्मद इमरान व तीन थाने की पुलिस ग्रामीणों की मदद से संदिग्धों की तलाश आज तड़के पांच बजे तक करती रही। फिर भी पुलिस के हाथ कोई सुराग नहीं लगा।
देवरिया (जेएनएन)। सेना की वर्दी में कल रात में दिखे पांच लोग अभी भी देवरिया जिले में पहले बने हैं। करीब 12 घंटे बाद भी अभी तक पता नहीं चला है कि यह लोग कौन थे और कहां से आए थे। पुलिस अपने अभियान में लगी है।
देवरिया जिले के खुखुंदू थाना क्षेत्र के लखना गांव के पास कल देर रात में सेना की वर्दी में दिखे पांच संदिग्ध अभी भी पहेली बने हुए हैं। मामला प्रकाश में आने के बारह घंटे बाद भी यह पता नहीं चल पाया है कि सेना की वर्दी में दिखे असलहाधारी कौन थे और कहां गए।
देखें तस्वीरें : देवरिया में संदिग्धों की तलाश में पुलिस व जनता
देवरिया के एसपी मोहम्मद इमरान व तीन थाने की पुलिस ग्रामीणों की मदद से संदिग्धों की तलाश आज तड़के पांच बजे तक करती रही। फिर भी पुलिस के हाथ कोई सुराग नहीं लगा।
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लखना गांव के किसी सर्वेश नाम के युवक ने पांच संदिग्धों को देखे जाने की जानकारी एसपी मोहम्मद इमरान को फोन पर दी। इसके बाद तो सीओ सलेमपुर की अगुवाई में खुखुंदू, भलुवनी व मईल थाने की पुलिस गांव में पहुंची। वहां पुलिस के माथे पर तब बल पड गया, जब एक अन्य युवक ने भी संदिग्धों के देखे जाने की पुष्टि की। फिर तो पुलिस नए सिरे से हरकत में आ गई।
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लखना व बघुची समेत आसपास के आधा दर्जन गांवों के लाइसेंसी असलहाधारियों को सचेत करते हुए उनसे संदिग्धों की तलाश में पुलिस की मदद करने को कहा गया। इसके बाद सैकड़ों की तादाद में ग्रामीण घरों के बाहर निकले। उन्होंने हर उस जगह की तलाश की, जहां संदिग्धों के होने की आशंका वयक्त की जा रही थी। इसके अलावा समूचे जिले की पुलिस को अलर्ट कर दिया गया।
चारों तरफ सार्वजनिक स्थल व वाहनों की सघन जांच शुरू कर दी गई। पुलिस को हाईअलर्ट पर रहने को कहा गया। पुलिस का सर्च अभियान आज सुबह तक चला, पर संदिग्धों का कोई सुराग नहीं मिला।
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पुलिस ने काफी देर तक अलग-अलग पूछताछ की
संदिग्धों को देखने का दावा करने वाले दोनो युवकों से पुलिस ने काफी देर तक अलग-अलग पूछताछ की। पुलिस का कहना है वे अलग-अलग दावे कर रहे हैं। शुरुआती पूछताछ के बाद उनके दावे को पुलिस मुंबई की घटना से प्रेरित मान रही है। मुंबई में स्कूल जा रहे छात्रों ने वर्दी पहने कुछ संदिग्धों को देखने का दावा किया था, जिसके बाद मुंबई में हाई अलर्ट घोषित किया गया था। माना जा रहा है कि इसी घटना से प्रेरित होकर पुलिस की फिरकी लेने के लिए युवाओं ने झूठी सूचना दी है।
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पूछताछ में सर्वेश का कहना है कि जिन संदिग्धों को उसने देखा वे हिंदी ठीक से नही बोल पा रहे थे। उनकी भाषा कुछ अजीब थी। फिर भी पुलिस की जांच जारी है।
आधे घण्टे तक मिलाते रहे 100 नम्बर
ग्रामीणों का कहना है कि संदिग्धों की सूचना देने के लिए उन्होंने 100 नम्बर पर फोन किया, लेकिन आधे घण्टे तक फोन रिसीव नही हुआ। बाद में लोगो ने किसी से एसपी और थानेदार का नम्बर मांग कर फोन किया, तब पुलिस सक्रिय हुई। अगर 100 नम्बर पर तत्काल रिस्पांस मिला होता तो पुलिस समय से पहुच जाती और सम्भव है संदिग्ध पकड़ में आ जाते।