पगडंडी के भरोसे दोआबा की आबादी
देवरिया : दोआबा में राप्ती और गोर्रा के प्रवाह से करीब तीन लाख लोग हर वर्ष प्रभावित होते हैं। तीन ल
देवरिया : दोआबा में राप्ती और गोर्रा के प्रवाह से करीब तीन लाख लोग हर वर्ष प्रभावित होते हैं। तीन लाख आबादी की सुरक्षा का भार जर्जर पगडंडी सड़कों पर है। मानसून की आहट से कछारवासियों की धड़कन बढ़ती जा रही हैं और जिम्मेदार मरम्मत को लेकर बेपरवाह हैं।
सन 1998 की प्रलयकारी बाढ़ में मची तबाही अफसरों को याद नहीं है। उस समय ताश के पत्ते की तरह पगडंडी सड़कें बिखर गई थीं। पूरा इलाका चार सप्ताह तक जलमग्न हो गया था। सड़क मार्ग से आवागमन बंद हो गया था। करीब डेढ़ सौ किमी पगडंडी के भरोसे कछार के लोगों के जीवन की पतवार टिकी है।
सर्वाधिक खराब हालत दोआबा की सुरक्षा का भार झेल रहे तिघरा-मराक्षी तटबंध की है। सुरक्षा के नाम पर विभाग ने बमुश्किल तीन मीटर चौड़े तटबंध का निर्माण कराया है। शासन का आदेश 15 जून तक मरम्मत कार्य पूरा करने का फरमान बेअसर दिख रहा है। तटबंध को उसके हाल पर छोड़ दिया गया है। यही हाल गोर्रा की गोद में बसे नरायनपुर-औराई, बहोरा-दलपतपुर जाने वाले मार्ग का है। अगर एक तरफ से चारपहिया वाहन चला गया तो दूसरी तरफ से वाहन के गुजरने में मुश्किल होती है। बरसात के दिन में आवागमन खतरे से खाली नहीं रहता। कई बार जानलेवा घटनाएं हो चुकी हैं। गांवों के समीप खतरनाक कट भी बने हैं, जहां रात में अक्सर घटनाएं होती हैं। मानसून की आहट से कछार के लोगों की मुश्किल बढ़ गई है।
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क्या होना चाहिए
-पगडंडी सड़कों की चौड़ाई बढ़ाई जाए
-नदियों के किनारे तटबंधों को और चौड़ा किया जाए
-सड़कों के किनारे बोल्डर पि¨चग किया जाए
-गांवों को बचाने के लिए विशेष इंतजाम किया जाए
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क्या कहते हैं लोग
क्षेत्र के रामसेवक, अखंड प्रताप ¨सह, देवी यादव, उद्धव गुप्ता, ब्रजबिहारी पांडेय, दिनेश पांडेय कहते हैं कि कछार क्षेत्र के सड़कों की चौड़ाई बढ़ाया जाना आवश्यक है। इसके कारण लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
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कछार क्षेत्र की समस्याओं के निदान के लिए संबंधित विभाग को पत्र लिखा जाएगा। लोगों की माकूल सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे।
घनश्याम उपजिलाधिकारी, रुद्रपुर