गन्ना किसानों का 30 करोड़ दबाए बैठी है मिल
देवरिया : जिले में गन्ना कभी किसानों के चेहरे के मुस्कराने की वजह हुआ करती थी आज किसान गन्ना बोने
देवरिया : जिले में गन्ना कभी किसानों के चेहरे के मुस्कराने की वजह हुआ करती थी
आज किसान गन्ना बोने के बाद पश्चाताप कर रहा है। कारण गन्ना बोने से लेकर मिल के डोगा में पहुंचाने तक के सफर में उसे मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। पेराई सत्र के समापन के बाद गन्ना किसान भुगतान के लिए मिल का लगातार चक्कर काट रहे हैं,
लेकिन मिल की सेहत पर कोई असर नहीं है। पेराई के बाद गन्ना किसानों का प्रतापपुर चीनी मिल 30 करोड़ रुपये दबाए बैठी है। जिसके मिलने की आस में किसान टकटकी लगाए है।
वर्ष 2016-17 के पेराई सत्र का शुभारंभ 14 दिसंबर 2016 को हुआ और 17 जनवरी 2017 तक मिल ने गन्ना पेराई का कार्य किया। इस दौरान गन्ना नहीं मिलने के कारण तकरीबन 10 दिन तक मिल नो केन में बंद रही। पूरे सत्र में 10.70 लाख ¨क्वटल गन्ना का मिल ने पेराई किया। अब तक मिल ने अब तक 2.94 करोड़ रुपये भुगतान किया है जो कुल बकाए का 7.6 फीसद है। चीनी मिल पर गन्ना किसानों का 30 करोड़ रुपये अभी भी बकाया है। किसान अपना गन्ना मिल को देने के बाद भुगतान के लिए मिल का चक्कर काट रहे हैं। गन्ने की बोआई के बाद उसे लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। किसानों को गन्ने की उपज का वाजिब मूल्य नहीं मिल रहा है। मुश्किलों को झेलते हुए बिना प्रोत्साहन के गन्ने की बोआई की हिम्मत अगर किसान जुटा रहा है तो समय पर गन्ना, मिल को देने के बाद भुगतान नहीं मिल रहा है। ऐसे में गन्ना किसानों का इस खेती से तौबा करना लाजिमी है। मौजूदा समय में किसी को अपनी बेटी के हाथ पीला करने के लिए रुपये चाहिए तो किसी को दवा के लिए पैसे की आवश्यकता है। बच्चों के फीस व विद्यालय में दाखिला की ¨चता भी किसानों को खाए जा रही है। गन्ना किसान अपनी गाढ़ी कमाई मिल को देने के बाद इंतजार करने को मजबूर है।
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एक माह के अंदर मिल कर देगा संपूर्ण बकाया भुगतान: खुशीराम
देवरिया : जिला गन्ना अधिकारी खुशीराम ने कहा कि प्रतापपुर चीनी मिल पेराई सत्र के बाद गन्ना किसानों का बकाया भुगतान न होने पर केन कमिश्नर व जिलाधिकारी की तरफ से मिल को नोटिस दी गई है। मिल ने गन्ना किसानों के संपूर्ण बकाया भुगतान के लिए शासन से एक माह का समय लिया है। मिल का चीनी, बगास व सीरा प्रशासन के कब्जे में है। चीनी को उप जिलाधिकारी भाटपाररानी व ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक प्रतापपुर की अनुमति से बेचा जा रहा है। भुगतान की 85 फीसद धनराशि किसानों के खाते में भेजी जा रही है।