ब्रश निर्माण को मिले उद्योग का दर्जा
देवरिया: 19 वी सदी में खाड़सारी, शीरा व लौह उद्योग की तरह जनपद के औद्योगिक अतीत का हिस्सा रहे ब्रश उ
देवरिया: 19 वी सदी में खाड़सारी, शीरा व लौह उद्योग की तरह जनपद के औद्योगिक अतीत का हिस्सा रहे ब्रश उद्योग से जुड़े कारोबारियों को प्रदेश के नए निजाम से काफी उम्मीदें हैं। उन्हें विश्वास है कि सरकार इसके कारोबार को उद्योग का दर्जा प्रदान कर उद्यमियों की मुश्किलें आसान करेगी।
ब्रिटिश हुकूमत के दौरान समृद्ध रहा ब्रश उद्योग आज अवसान पर है। आजादी के बाद बनी सरकारों की गलत नीतियों ने इसे बदहाली के दौर में पहुंचा दिया। कपड़े व दीवार की रंगाई, जूते की सफाई एवं दीवारों पर कलाकृति बनाने के काम आने वाला यह उद्योग आजादी से पूर्व सर्वाधिक लाभ वाला व्यवसाय माना जाता था। बरहज से बने ब्रश की विदेशों में काफी मांग थी। यह उद्योग विदेशी मुद्रा लाने का भी सशक्त माध्यम था। आजादी के बाद की सरकारों ने इस पर ध्यान नहीं दिया लिहाजा उद्योग चौपट हो गया। प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद अब उद्यमियों को फिर से खुशहाली की आस बंधी है।
व्यवसायी सत्यप्रकाश पाल ने कहा कि इस सरकार से कारोबारियों को काफी उम्मीदे हैं। प्रमोद सोनकर, प्रताप सोनकर, शंभू जायसवाल का कहना है कि ब्रश निर्माण को उद्योग का दर्जा देने के साथ परिवहन का इंतजाम का इंतजाम होना चाहिए। डा. कमलेश यादव, नर¨सह कुशवाहा ने कहा कि जनपद में ट्रांसपोर्टिंग को बढ़ावा देना चाहिए।