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चुनावी परिदृश्य से बाढ़ गायब

देवरिया : बाढ़ पूर्वांचल की सबसे ज्वलंत समस्या है। हर साल हजारों लोग बाढ़ के कहर से बेघर होते हैं तो

By Edited By: Published: Sun, 19 Feb 2017 11:31 PM (IST)Updated: Sun, 19 Feb 2017 11:31 PM (IST)
चुनावी परिदृश्य से बाढ़ गायब
चुनावी परिदृश्य से बाढ़ गायब

देवरिया : बाढ़ पूर्वांचल की सबसे ज्वलंत समस्या है। हर साल हजारों लोग बाढ़ के कहर से बेघर होते हैं तो सैकड़ों लोगों की जान चली जाती है। देवरिया का तीस फीसद क्षेत्रफल बाढ़ से प्रभावित है, जहां प्रतिवर्ष बाढ़ से भारी तबाही होती है। बीते चुनावों में प्रमुख मुद्दा रही बाढ़ की समस्या इस बार चुनावी परिदृश्य से गायब है। जनता की रहनुमाई का दंभ भरने वाले नेताओं व राजनीतिक दलों द्वारा इस मुद्दे को भुला देना मतदाताओं को खल रहा है।

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घाघरा, राप्ती, गोर्रा और गंडक चार प्रमुख नदियां जनपद से होकर गुजरती हैं। चारों नदियां तबाही के लिए जानी जाती हैं। बाढ़ व कटान से हर साल सैकड़ों परिवार प्रभावित होते हैं। हजारों एकड़ फसल नष्ट होती है। साल-दर साल कटान से लगभग एक दर्जन गांवों का वजूद समाप्त हो चुका है। घाघरा की कटान से तीन गांव तो राप्ती व गोर्रा की कटान से लगभग आधा दर्जन गांवों का वजूद खत्म हो चुका है। हालांकि अधिकांश गांवों के लोगों ने दोबारा बस्तियां बसा ली है। तो वहीं जमीन न मिलने से हजारों परिवार सड़क के किनारे खानाबदोश जीवन जी रहे हैं।

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इन गांवों का मिटा अस्तित्व

राप्ती नदी की कटान से 1975 में ग्राम भदिला प्रथम, 1982 से 2006 के बीच गौरा दलपतपुर, नरायनपुर, शीतल माधा, गायघाट, नगवां, गोरखपुर जनपद के मोहन पौहरिया गांव नदी में विलीन हो चुके हैं। जबकि घाघरा के कहर से ऐतिहासिक परसिया कूर्ह, विशुनपुर देवार दलित बस्ती, स्कूलहिया टोला, कोलखास का वजूद मिट चुका है।

ये गांव लड़ रहे वजूद की जंग

कटइलवा, मेहियवां, रगरगंज, पैना, केवटलिया, गौरा, भागलपुर, भदिला प्रथम, धनया उर्फ कुंद महाल, बहोरा दलपतपुर, नरायनपुर औराई, गाजन अहिरौली, पलिया सुल्तानी, मोहरा, गायघाट नवीन पर नदियों की कटान से खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।

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परियोजनाएं जो मुकाम तक नहीं पहुंची

-धौला बांध के लिए वर्ष 2009 में 7.39 करोड़ का प्रस्ताव, गंगा बाढ़ नियंत्रण परिषद पटना में लंबित

-पूर्वांचल विकास निधि से कपरवार संगम तट से परसिया कूर्ह तक चार एस्पर, ठोकर, लां¨चग पि¨चग एपरन के लिए 52 करोड़ का प्रस्ताव 2016 में तीसरी बार भेजा गया, पर धनराशि नहीं मिली।

-नगवा-छपरा तटबंध के मरम्मत के लिए 89 लाख रुपये का प्रस्ताव शासन को बाढ़ खंड ने भेजा, जो शासन में लंबित है।

-तटबंध के एपरन व पि¨चग के लिए 4.12 करोड़ की परियोजना को शासन ने नहीं मिल पा रही मंजूरी।

- पिड़रा-मराछी तटबंध पर एस्पर निर्माण हेतु 1.13 करोड़ रुपये का प्रस्ताव एक वर्ष पूर्व भेजा गया, पर धनराशि नहीं मिली।

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