चीनी मिलों पर गन्ना ले जाने से कतरा रहे किसान
देवरिया: कभी पूर्वांचल का चीनी का कटोरा कहे जाने वाला देवरिया जिला अब सरकार की उदासीनता के चलते अपनी
देवरिया: कभी पूर्वांचल का चीनी का कटोरा कहे जाने वाला देवरिया जिला अब सरकार की उदासीनता के चलते अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। गन्ना का उचित मूल्य व समय से भुगतान न होने के चलते जिले में गन्ना का पैदावार एक तरफ जहां कम हो गया है, वहीं दूसरी तरफ जनपद के छोटे-छोटे गन्ना किसान चीनी मिल पर गन्ना ले जाने से कतराने लगे हैं और घर पर ही क्रेसर से गन्ना की पेराई कर गुड़ तैयार कर रहे हैं। एक तरफ जहां उनका गुड़ समय से बिक रहा है तो दूसरी तरफ उन्हें नकद पैसा मिल जा रहा है।
पहले देवरिया व कुशीनगर एक ही जनपद हुआ करता था। पूर्वांचल में सबसे अधिक गन्ना का पैदावार उस समय के देवरिया जिला में हुआ करता था। इसको देखते ही देवरिया जनपद में कुल चौदह चीनी मिलें हुआ करती थी, नब्बे के दशक तक सभी चीनी मिले चलती रही, लेकिन इसके बाद से किसानों के प्रति सरकार उदासीन होने लगीं और गन्ना किसानों को उनके गन्ना का ना तो उचित मूल्य मिल रहा था और न ही किसानों का समय से गन्ने का भुगतान हो पा रहा था। सरकार की उदासीनता के चलते धीरे-धीरे गन्ना का पैदावार किसानों ने कम कर दिया और जिले की चीनी मिलें एक-एक कर बंद होती रही। अब जिले में मात्र प्रतापपुर चीनी मिल ही केवल चालू है। अब पैदावार इतना कम हो गया है कि उस चीनी मिल को चलाने के लिए पर्याप्त गन्ना नहीं मिल रहा है। छोटे-छोटे किसान गन्ना की बुआई तो कुछ हद तक कर रहे हैं, लेकिन वह भी समय से भुगतान न होने के चलते चीनी मिल तक अपना गन्ना ले जाने से मुंह मोड़ने लगे हैं। भेड़िया के किसान गोपाल कुशवाहा ने कहा कि पहले गन्ना के खेती से किसान बेटी की शादी, मकान बनवाने समेत तमाम बड़ा कार्य कर लेता था, लेकिन कई साल गन्ना का भुगतान व उचित मूल्य न मिलने के चलते हम लोगों ने गन्ना बोना ही बंद कर दिया। अब गन्ना कुछ बोया जाता है तो क्रेसर से ही पेराई कर उसका गुड़ बना लिया जाता है। इसी तरह की बात रामपुर बुजुर्ग निवासी नागेंद्र ¨सह, बभनौली पांडेय निवासी सभापति पांडेय, ठोकावंशी निवासी संजय पांडेय भी कहते हैं।