कुरान सर्वोपरि, पर तीन तलाक आसान नहीं
देवरिया: हाईकोर्ट ने अपने फैसले में तीन तलाक को महिलाओं के साथ क्रूरता तथा संविधान के खिलाफ बताया है
देवरिया: हाईकोर्ट ने अपने फैसले में तीन तलाक को महिलाओं के साथ क्रूरता तथा संविधान के खिलाफ बताया है। कोर्ट का कहना है कि कोई भी पर्सनल ला संविधान से ऊपर नहीं हो सकता। कोर्ट ने कहा है कि कुरान में भी तीन तलाक को गलत बताया गया है। इसको लेकर जब जागरण ने धर्म गुरुओं से उनकी राय जानने की कोशिश की तो सभी ने कुरान को सर्वोपरि बताते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा कि हमारे लिए कुरान महत्वपूर्ण है। यदि कुरान में तीन तलाक को गलत बताया गया है तो हम न्यायालय के फैसले को मानने को तैयार हैं। हलांकि कुछ लोगों ने तीन तलाक को मुस्लिम बिरादरी में एक जटिल प्रक्रिया भी बताया।
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कोर्ट का आदेश संविधान के आधार पर चलता है, शरियत के हिसाब से तीन तलाक वाजिब है। तीन तलाक में जटिल प्रतिबंध है, जिससे भयभीत होकर मुसलमान तलाक देने से डरता है और तलाक नही देता है। यही कारण है की मुसलमान सौ में दस फीसद ही तलाक देता है पर अन्य विरादरी में 25 फीसद तक लोग तलाक देते हैं।
-शाकिर अली
विधायक, पथरदेवा
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अगर कुरान में तीन तलाक नहीं है तो न्यायालय का फैसला मानने योग्य है। मुसलमानों का मानना है कि कुरान से ऊपर कुछ नहीं है। संविधान सर्वोपरि है। ऐसे में हम सभी उच्च न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हैं।
-शकील अहमद सिद्दीकी
सदर, अंजुमन इस्लामियां
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कुरान व हदीस से हट कर हम किसी भी कोर्ट के फैसले को नहीं मानेंगे। दोनों जहां की भलाई है। कुरान व हदीस की ही रौशनी में है। मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड जो तलाक के बारे में कह रहे हैं वह कुरान व हदीस की ही रौशनी में कह रहे है। इसलिए हम सब मुसलमान बोर्ड के साथ है।
-हाजी अहमद हसन
नाजिम, जमा मस्जिद
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