भव्य झांकी व विविध कार्यक्रमों के बीच कान्हा ने लिया जन्म
सिद्धार्थनगर : त्रेतायुग में भले भले भगवान श्रीकृष्ण का जन्म कारागार में हुआ। उसके बाहर कंस के प
सिद्धार्थनगर : त्रेतायुग में भले भले भगवान श्रीकृष्ण का जन्म कारागार में हुआ। उसके बाहर कंस के पहरेदार बिठाए गए हो, मगर यहां तो खाकीधारी कई दिन से कृष्ण के आने की राह निहार रहे थे। पुलिस लाइन हो या थाना कन्हैया के जन्म से पूर्व उसे चमका दिया गया था। एक-एक पुलिस कर्मी ने इस जतन में लगा रहा कि कान्हा के आगमन पर उनके इस भक्त से तैयारी में कोई कमी न रह जाए।
इस बार जन्माष्टमी को लेकर हर थाने की तैयारी पुलिस लाइन पर भारी पड़ी। हालांकि पुलिस लाइन में पिछले कई दिनों से तैयारियां चल रही थीं, पर गुरुवार सुबह से लेकर सायं 4 बजे की मेहनत में जन्माष्टमी की वह झांकी निखरी की हर श्रद्धालु की तबियत खुश हो गई। सदर थाना स्थित शिव मंदिर को एक दिन पूर्व ही पेंट करा लिया गया था। मंदिर में जन्माष्टमी की झांकी सजायी गई। गुब्बारों से थाने का गेट सजवाया गया। इसके अलावा जगमगाती लाइटों ने थाने के आभा मंडल में चार चांद लगा दिया था। झांकी में पर्वत से लेकर कारागार का अक्स उभारा गया तो उसमें तमाम खिलौने रखकर सजाया गया। हालांकि पुलिस लाइन में भी जवानों आकर्षक झांकी सजायी। मोहाना, शोहरतगढ़ समेत जिले के सभी थानों में भव्य सजावट की गई। रात 12 बजे श्रीकृष्ण का जन्म हुआ तो पुलिस अधीक्षक महेन्द्र यादव समेत जिले के तमाम वरिष्ठ अफसरों ने पुलिस लाइन में आरती की। तत्पश्चात प्रसाद वितरण किया गया।
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रोहिणी नक्षत्र में जन्में कृष्ण
जन्माष्टमी को लेकर श्रद्धालुओं ने सुबह से व्रत रखा। इस बार की श्रीकृष्ण जन्माष्टमी खास रही। अष्टमी और कृष्ण जन्म नक्षत्र रोहिणी के पावन संयोग में हुआ। 52 साल बाद ऐसा पावन संयोग बना। ग्रहों के विशेष संयोग के साथ भगवान का श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मना। बुधवार रात 10.13 बजे से अष्टमी तिथि का आगमन हो गया। ऐसे में तिथि काल बुधवार रात से ही शुरू हो गया। गुरुवार को उदया काल की तिथि में व्रत जन्मोत्सव मनाया गया। इसके साथ ही मध्यरात्रि भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के समय रोहिणी नक्षत्र का भी संयोग रहा। ऐसे में जन्माष्टमी का व्रत लोगों के लिए विशेष फलदायी रहा।