पशु तस्करी का कारोबार तेज, पुलिस लाचार
देवरिया : बिहार का सीमाई इलाका पशु तस्करों के लिए मुफीद साबित हो रहा है। कम समय और कम लागत में पांच
देवरिया : बिहार का सीमाई इलाका पशु तस्करों के लिए मुफीद साबित हो रहा है। कम समय और कम लागत में पांच गुना से भी अधिक मुनाफा का यह कारोबार पशु तस्करों को अनायास अपनी तरफ खींच रहा है। पूर्वांचल के विभिन्न जिलों में पशु तस्करों का एक बड़ा नेटवर्क लंबे समय से कार्य कर रहा है। तस्करों की गर्दन तक पुलिस के हाथ तो पहुंचते हैं लेकिन कार्रवाई के नाम पर खानापूरी के बाद यह कारोबार अगले दिन से ही बदस्तूर जारी हो जाता है। पशुओं को बिहार के रास्ते पश्चिम बंगाल पहुंचाया जा रहा है। इसका खुलासा बनकटा पुलिस द्वारा तब किया गया जब छह बछड़ों के साथ एक तस्कर को पुलिस ने दबोचा।
रतसिया कोठी तिराहा के समीप से एक बोलेरो में निर्ममता पूर्वक छह बछड़ों को ठूंस कर बिहार ले जाया जा रहा था कि मुखबिर की सूचना पर तस्कर को पुलिस ने दबोचा। गिरफ्तार तस्कर आशिक पुत्र सलीम निवासी खदौर जिला सिवान बिहार ने बताया कि इन पशुओं को मै सिवान पहुंचाता हूं। इन पशुओं को पहुंचाने के बाद मुझे निर्धारित धनराशि मिल जाती है और इन्हे स्लाटर हाउस में काटा जाता है नही तो पश्चिम बंगाल भेज दिया जाता है। सीवान में प्रतिदिन दो से तीन ट्रक पशुओं को पश्चिम बंगाल रवाना किया जाता है। पूवरंचल के गोरखपुर , देवरिया, महराजगंज, संतकबीर नगर, बस्ती से पशुओं को एकत्रित कर रैकेट के सदस्य सिवान पहुंचाने का कार्य करते हैं। सिवान में बछड़े, भैंस के पड़वे, भैंस व गायों को काटकर उनका मांस व चमड़ा मंडियों में भेजा जाता है। पश्चिम बंगाल में स्वस्थ गाय, भैंस के मांस की विशेष तौर पर मांग है। इस रैकेट में सैकड़ों लोग जुड़कर कार्य करते हैं। गांवों में पशुओं को घूमकर पहले खरीदते हैं फिर अपने मुखिया को सूचना देते हैं और निर्धारित स्थान से पशुओं को लादकर उन्हे बिहार की तरफ रवाना किया जाता है। बिहार पारगमन में पशु तस्कर पुलिस की जेब भी गरम करते हैं। यह कारोबार पुलिस संरक्षण में फल फूल रहा है।