राप्ती के बदलते तेवर से दहशत में कछारवासी
देवरिया : कछार क्षेत्र के लिए अभिशाप बन चुकी राप्ती और गोर्रा यहां का भौगोलिक स्वरूप ही बिगाड़ रही
देवरिया : कछार क्षेत्र के लिए अभिशाप बन चुकी राप्ती और गोर्रा यहां का भौगोलिक स्वरूप ही बिगाड़ रही हैं। बाढ़ खंड की लापरवाही से प्रतिवर्ष माझानारायण सहित अन्य गांवों के समीप हो रही कटान थमने का नाम नहीं ले रही है। राप्ती के यू टर्न ने तटवर्ती ग्रामीणों की नींद उड़ा दी है। पिछले कई वर्षों से कटान का सिलसिला जनपद के सीमावर्ती क्षेत्र के तिघरा माझानारायण तटबंध पर करहकोल और तिघरा के बीच पुराने बंधे को काटते हुए बढ़ता जा रहा है, जिसकी लम्बाई 17 किमी है। खास बात यह है कि नदी उसी जगह पर कटान हर साल कर रही है, जहां 1998 के भंयकर प्रलयकारी बाढ़ में तटबंध टूटा था। तब कछार के 116 गांवों को जलमग्न कर दिया था। अब उसका दायरा बढ़ता जा रहा है। इससे द्वाबावासी करीब एक माह तक जलमग्न रहे और काफी जन धन की हानि हुई थी।
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जरूरी कदम
-गांवों के समीप डैंपनर स्पर और ठोकर का अगर निर्माण किया जाता तो हर साल नए कटान स्थलों की तरफ दायरा बढ़ा रही राप्ती से खतरा कम होता, लेकिन बचाव के नाम पर कुछ नहीं किया गया। इससे नदी का रौद्र रूप बढ़ता जा रहा है। कटान गांवों का अस्तित्व मिटाने को आतुर है। संदीप चौधरी ने बताया कि पिछले वर्ष अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि उक्त बंधे की मरम्मत तथा पी¨चग का कार्य हो जाएगा। पर अब तक कोई कार्य नहीं हुआ है। इस कारण राप्ती के तट पर बसे ग्रामीण भयभीत है। क्षेत्र के पूर्व प्रधान अखण्ड प्रताप ¨सह, अभयनंदन त्रिपाठी, सुभाष ¨सह, इन्द्र पाल ¨सह, रणविजय ¨सह, यशवंत ¨सह दिनेश, विनोद ¨सह आदि में भय व्याप्त है। उप जिलाधिकारी डा. राजेश कुमार ने बताया गांव को बचाने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। विभाग से कटान स्थलों पर विशेष निगरानी के लिए कहा गया है।