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कामना क्रोध की जननी : सुश्री सत्या

देवरिया: तहसील क्षेत्र के ग्राम अमांव में चल रहे नौ दिवसीय शतचंडी महायज्ञ के पांचवे दिन श्रद्धालुओं

By Edited By: Published: Fri, 24 Jun 2016 10:37 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jun 2016 10:37 PM (IST)
कामना क्रोध की जननी : सुश्री सत्या

देवरिया: तहसील क्षेत्र के ग्राम अमांव में चल रहे नौ दिवसीय शतचंडी महायज्ञ के पांचवे दिन श्रद्धालुओं को कथा सुनाते हुए व्यास सुश्री सत्या तिवारी ने कहा कि कामना क्रोध की जननी है। व्यक्ति जब विषय का ¨चतन करता है तो उसमें उसकी रुचि बढ़ने लगती है। उसे पाने की इच्छा में मन हिलोरे लेने लगती है। जब उस इच्छा की पूर्ति में बाधा आती है तब क्रोध का जन्म होता है। क्रोध के बढ़ने पर स्मृति भ्रमित होती है, स्मृति भ्रमित होने जाने के पश्चात बुद्धि का विनाश हो जाता है।

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कथा व्यास ने कहा कि वाणी ऐसी बोलें जिसे सुनकर व्यक्ति को ठेस न लगे, प्रिय व हितकर लगे। प्रेम से ही प्रेम का भाव पैदा होता है। नफरत का भाव समाज में कटुता पैदा करता है। आज धरा पर अधर्म बढ़ रहा है। भाई-भाई का दुश्मन बन बैठा है। कलयुगी राक्षस (आतंकवादी व नक्सली) जेहाद के नाम पर निर्दोष जनता की नृशंस हत्या कर रहे हैं। आतंकवाद व नक्सलवाद मानवता के लिए खतरा बन चुका है। इतिहास गवाह है जब जब धरती पर अधर्म बढ़ा है, तब-तब धर्म और न्याय की स्थापना के लिए भगवान ने जन्म लिया है। कभी कृष्ण तो कभी राम के रूप में।


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