खुलने लगी पुलिस बर्बरता की कलई
जागरण संवाददाता, देवरिया : कैदियों के परिजनों का दावा गुरुवार को तब सच साबित हुआ जब गंभीर रूप से घाय
जागरण संवाददाता, देवरिया : कैदियों के परिजनों का दावा गुरुवार को तब सच साबित हुआ जब गंभीर रूप से घायल तीन कैदी जिला अस्पताल लाए गए। पुलिस प्रशासन के नुमाइंदे यहां भी प्रकरण पर पर्दा डालने की पुरजोर कोशिश करते रहे। आलम यह रहा कि कैदियों से बातचीत तो दूर उनके इर्द-गिर्द भी किसी के फटकने नहीं दिया गया। पुलिस की यह कारस्तानी कैदियों पर टूटे सितम की तस्वीर बयां कर रही है। मंगलवार को देवरिया जेल परिसर से उठती गोलियों की आवाज को सुनकर कैदियों के परिजनों ने आशंका जताई कि उनके अपने सुरक्षित नहीं हैं। हालांकि जिला प्रशासन ने उनकी आशंका को निर्मूल बताते दावा किया कि हल्के बल प्रयोग से हालात पर काबू पाया गया। कोई भी कैदी गंभीर रूप से घायल नहीं है। गुरुवार को दोपहर बाद जिला अस्पताल पर मौजूद सैकड़ों लोगों की आंखें तब फटी की फटी रह गई जब पुलिस के वाहन से तीन गंभीर घायलों को उन्होंने उतरते देखा। छानबीन में पता चला कि तीनों कारागार के कैदी हैं। इनमें से एक हरिनाथ की हालत काफी खराब है। उसे व्हील चेयर की मदद से आर्थो सर्जन के पास ले जाया गया। जबकि परवेज के दाहिने व अमित ¨सह के बांए हाथ में फ्रेक्चर की पुष्टि चिकित्सकों ने की। तीनों का एक्सरे भी कराया गया। कैदियों की इस दुर्दशा के पीछे छिपी कहानी तक जब कुछ लोगों ने पहुचने की कोशिश की तो उन्हें बल पूर्वक रोक दिया गया। एक ऐसे पत्रकार का मोबाइल पुलिस कर्मियों ने छीन लिया, जो घायलों की फोटो बना रहा था। पत्रकार पर मुकदमा दर्ज करने तक की धमकी पुलिसकर्मियों ने दे डाली। उनके रुख से अहसास हुआ कि घायलों तक किसी के पहुंचने व उनसे बातचीत करने पर पुलिस ने मानों अघोषित पाबंदी लगा दी हो।